अधूरी सड़कों को पैसा देगा आईडीए
नवभारत न्यूज़
इंदौर. मास्टर प्लान 2021 की आधी अधूरी मेजर रोड अब निगम बनाएगा. खास बात यह कि अधूरी सड़कों को बनाने का पैसा आईडीए दे रहा है. इसका कारण यह बताया जा रहा है कि 29 गावों के निगम सीमा में शामिल होने से मेजर रोड आईडीए की स्कीम से बाहर हो गए.
मास्टर प्लान में शहर की कुल 17 सड़कें बनाना प्रस्तावित किया था. इसमें सिर्फ 3 सड़कें पूरी बनी है. बाकी 14 सड़कें या तो शुरू नहीं हुई या हुई भी तो बस्तियों, अवैध कॉलोनियों और किसानों के जमीन नहीं देने कारण आज तक अधूरी है. इसके अलावा सरकार ने मास्टर प्लान की सड़कें बनने के पहले ही नगर निगम सीमा बढ़ाने का एलान करते कर दिया. नगर निगम सीमा में 29 गांव शामिल कर दिए. नगर निगम सीमा बढ़ाने से आईडीए की स्कीम से मेजर रोड (एमआर रोड) बाहर हो गए. ध्यान देने वाली बात यह है कि एम आर रोड जितने प्रस्तावित किए थे उनमें से एक भी सड़क ऐसी नही थी जो आसानी से बनाई जा सके. दूसरा यह कि निगम की तरह आईडीए के पास अपना रिमूवल दस्ता भी नहीं है. आईडीए को अतिक्रमण हटाने के लिए निगम का ही सहारा लेना पड़ता है. आईडीए अपनी स्कीमों के बाहर जाकर काम नहीं कर सकता, यह बंधन भी है. आईडीए सिर्फ एमआर 10 और 11 ही पूरी बना पाया है. बाकी इसमें रिंग रोड से रेडीमेड कॉम्प्लेक्स तक एमआर- 9 बनी है. रिंग रोड से बायपास तक हिस्सा भी अधूरा है. उसमें बस्तियां है, जो सड़क निर्माण में बाधक है.
बस्तियां है बाधक
उक्त सभी सड़कों को दो साल में पूरा करना था, मगर सभी सड़कें पांच – सात साल से अधूरी बनी पड़ी है. सभी ठेकेदार कम्पनियों को आईडीए और नगर निगम आज तक साइड क्लियर करके नहीं दे सका है. राजनीतिक दबाव में बाधक बस्तियां नहीं हटाई नही जा रही है. इस वजह से शहर की लाइफ लाइन बनने वाली ये सड़कें करोड़ों खर्च में बाद भी जनता को सुगम यातायात की सुविधा नही दे पा रही है. मास्टर प्लान की धज्जियां उड़ी सो अलग है. इस विषय पर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है.