‘‘बोलावा विठ्ठल’’: अभंग गायन सम्पन्न, पारम्परिक मराठी अभंगों की समवेत प्रस्तुति में अध्यात्म मय हुआ सभागार

भोपाल। मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग की मराठी साहित्य अकादमी, मराठी साहित्य एवं संस्कृति के म.प्र. में संरक्षण एवं संर्वधन के लिये निरंतर कार्यरत है। जिसके अन्तर्गत विभिन्न सांस्कृतिक एवं साहित्यिक गतिविधियां सम्पन्न की जाती है।

मराठी समुदाय में आषाढ़ी एकादशी के अवसर पर दिंडी यात्रा (शोभायात्रा) का आयोजन पारम्परिक रूप से किया जाता है, जिसमें पारम्परिक वेशभूषा एवं वाद्यों के साथ हरि संकीर्तण करते हुए शोभायात्रा निकाली जाती है। इसमें प्रायः प्रसिद्ध अभंगों का गायन भी किया जाता है। ‘अभंग’ अर्थात् जो भंग न हो। ऐसा अविरल बहने वाला शब्दों का झरना। सभी संतों ने अभंग के माध्यम से समाज के उत्थान हेतु अपने-अपने शब्दों में मार्गदर्शन दिया है। अभंग के शब्द केवल शब्द मात्र नहीं है, बल्कि अखण्ड प्रवाहित सर्वव्याप्त परब्रह्म स्वरूप हैं। वारकरी संप्रदाय इन्हें भक्ति भाव से विभोर होकर सस्वर प्रस्तुति करता है। महाराष्ट्र के वारकरी संप्रदाय (जो आषाढ़ माह में पंढरपुर श्रीक्षेत्र के दर्शनार्थ पदयात्रा कर, ईश्वर के भजन गाते हुये पद यात्रा करते हैं) के संतों ने प्रायः अपने काव्य में अभंग जो प्रमुख वैशिष्टय आध्यात्मिक अभिव्यक्ति का अपना पृथक स्वरूप है।

अकादमी द्वारा इसी परम्परा को निरंतर रखने की दृष्टि से ‘‘बोलावा विठ्ठल’’ शीर्षक से अभंग गायन का आयोजन इस वर्ष मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय के सभागार में 17 जुलाई, 2024 को सुबह 11 बजे आयोजित किया गया। कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथियों एवं कलाकारों द्वारा दीप प्रज्जवलन किया गया। तत्पश्चात अकादमी की निदेशक, श्रीमती वंदना पाण्डेय द्वारा कलाकारों एवं अतिथियों का स्वागत एवं सम्मान किया गया।

इस समारोह में ख्यातनाम कलाकार समूह सुरसंगम, नागपुर से श्री सचिन ढोमणे के संगीत निर्देशन में गायन- सुश्री सुरभी ढोमणे, सारंग जोशी, दीपक कुलकर्णी एवं अश्विनी सरदेशमुख, निवेदन- श्री किशोर गलांडे-जलगांव एवं संगत कलाकार- आर्य पूरणकर, शिवलाल यादव, संदीप गुरमुळे, विक्रम जोशी, श्रीधर कोरडे़ एवं रिषभ ढोमणे द्वारा उपशास्त्रीय मराठी अभंगों की प्रस्तुति से वातावरण अध्यात्ममय हो गया। श्रोता मंत्र मुग्ध होकर विठोबा के प्रति अपनी श्रृद्धा एवं प्रेम का प्रदर्शन कर रहे थे।

कार्यक्रम में मराठी के प्रमुख अभंगों की समवेत प्रस्तुति में सुश्री सुरभी ढोमणे, श्री सारंग जोशी, श्री दीपक कुलकर्णी एवं सुश्री अश्विनी सरदेशमुख ने मुख्य अभंग प्रस्तुत किये। इन अभंगों में मुख्य रूप से माझे माहरे पंढरी, देवाचीय द्वारी, सुंदर ते ध्यान, नाम विठोबाचे ध्यावे, वृंदावनी वेबू वाजे इत्यादि अभंग प्रस्तुत किए। कार्यक्रम सम्पन्न होने के उपरांत अकादमी की निदेशक, श्रीमती वंदना पाण्डेय द्वारा कलाकारों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।

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