पटना 05 जुलाई (वार्ता) बिहार सरकार ने राज्य में पुल ढहने की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए विभिन्न रैंक के 15 अभियंताओं को निलंबित कर दिया है वहीं दो अभियंताओं को नोटिस तथा एक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद तथा ग्रामीण कार्य विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने शुक्रवार शाम संवाददाताओं को बताया कि चार कार्यपालक अभियंता, चार सहायक अभियंता तथा सात कनीय अभियंताओं को निलंबित किया गया है। उन्होंने बताया कि अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई के अलावा ढहे पुलों के ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया गया है। उन्हें पुलों के दोबारा निर्माण की लागत तथा भुगतान वहन करने का निर्देश दिया गया है तथा आगे कार्य आवंटन पर रोक लगा दी गई है।
श्री प्रसाद ने बताया कि पिछले दिनों अलग अलग जिलों में नौ पुल-पुलिया ढह गए, जिनमें से छह बहुत पुराने थे तथा तीन निर्माणाधीन थे। उन्होंने सीवान और सारण जिले में 03 और 04 जुलाई को छाड़ी और गंडकी नदी पर बने पुलों के ध्वस्त होने का ब्यौरा देते हुए कहा कि गोपालगंज, सीवान और सारण जिले में छाड़ी/गंडकी नदियों के अविरल प्रवाह और नदियों को जोड़ने तथा जल जीवन हरियाली मिशन के क्रियान्वयन के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा गंडक-अकली-छाड़ी-गंडकी-माही-गंगा नदी जोड़ो परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। छाड़ी-गंडकी और माही नदियों के माध्यम से गंडक नदी के अतिरिक्त पानी को गंगा नदी में गिराने की परियोजना का क्रियान्वयन 69.89 करोड़ रुपये की लागत से हो रहा है। संबंधित नदियों में 170 किलोमीटर लंबाई, 19 मीटर चौड़ाई और तीन मीटर गहराई में गाद निकालने का काम होना है और इस परियोजना को 2025 तक पूरा किया जाना है। इससे बाढ़ को नियंत्रित करने और भूजल स्तर को सुधारने में मदद मिलेगी।
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि जांच के दौरान उड़नदस्ता टीम ने पाया कि परियोजना के क्रियान्वयन के दौरान संबंधित अभियंताओं ने पुल-पुलियों को सुरक्षित रखने के लिए कोई निवारक उपाय नहीं अपनाए। उन्होंने बताया कि पर्याप्त तकनीकी निगरानी की भी अनदेखी की गई तथा पाया गया कि क्रियान्वयन करने वाले ठेकेदार ने भी कार्य के प्रति उदासीन रवैया अपनाया।