प्रदेश सरकार रेत नीति में बदलाव कर अंतर प्रांतीय परिवहन बंद करें: ज्ञानेंद्र

अवैध उत्खनन पर जिला अध्यक्ष ने जताया नाराजगी

नवभारत न्यूज

सिंगरौली 5 जुलाई। म. प्र. के साथ ही सीधी और सिंगरौली जिले में बीते कुछ वर्षों से लगभग सभी नदी और नालों से न सिर्फ अंधाधुंध रेत का उत्खनन हुआ है बल्कि रेत की कीमत में बेतहाशा बढ़ोत्तरी भी हुई है । रेत का अवैधानिक उत्खनन पूरे जनजीवन तथा वन्यजीवों के साथ प्रकृति पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

सरकार की गलत रेत नीति का ही परिणाम है कि भू-जल स्तर नीचे जाने से गांव-गांव में पीने के पानी की जटिल समस्या पैदा हुई है । ग्रामीण सड़कों की स्थिति खराब हुई है। प्राकृतिक पेड़ों की वृद्धि रुकी है और पुराने पेड़ समाप्त हो रहे हैं तथा नदियों का स्वरूप बिगड़ गया है। जहां गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। उत्खनन, परिवहन और रेत कारोबार के ठेकेदारों की संगठित अपराधिक सेना की गुंडागर्दी से शासकीय कर्मचारी, पुलिस अधिकारी और आम जनजीवन असुरक्षित है । रेत नीति में सरकार बदलाव करें। जिले भर के खदानों की गु्रप नीलामी बंद कर प्रति खदान की अलग-अलग नीलामी की जाय। अंतर्राज्यीय परिवहन पर प्रतिबंध लगाया जाय अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब खदान क्षेत्र के आसपास के गांव को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ेगा और जरूरत के लिए रेत किलो के भाव पर तौल कर लेना पड़ेगा । जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण अध्यक्ष ज्ञानेंद्र द्विवेदी ने अपना एक प्रेस वक्तव्य जारी करते हुए म.प्र. शासन एवं जिला प्रशासन से आग्रह कर कहा है की प्रदेश की रेत नीति में बदलाव और जिला में अवैध उत्खनन की रीति में पूर्ण विराम नहीं लगा तो कांग्रेस पार्टी बरसात बाद शुरू होने वाले रेत उत्खनन एवं परिवहन पर सख्त कदम उठाने को बाध्य होगी । उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में आम जनजीवन को ताक पर रखकर अपनों को उपकृत करने का जो खेल चल रहा है वह जनहित में कदापि उचित नही है । गलत रेत नीति के कारण प्रदेश भर में अवैध उत्खनन और परिवहन का व्यापार चल रहा है। उससे कीमत तो बढ़ी ही है किंतु अपराधिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए यह नीति कम दोषी नही है। सरकार रेत नीति में बदलाव कर रेत खदान के छोटे-छोटे समूह बनाए और अंतर प्रांतीय परिवहन पूर्णत: बंद करें ।

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