सिर्फ़ चिंतन के लिए नहीं बल्कि चिंतन को एग्जीक्यूट करने वाला सेमिनार -पुष्यमित्र भार्गव

मेरी पीड़ा है की मेरा शहर ग्रीनरी में पीछे है-महापौर

इंदौर: युवाओं को इंदौर के लिए सोचना होगा – डॉ राजेंद्र सिंह

नर्मदा पर आश्रित रहने के अलावा इंदौर पानी दार शहर बनना होगा-डॉ राजेंद्र सिंह *

परिवार की जनसंख्या के आधार पर पैड लगाना हो अनिवार्य-श्याम सुंदर पालीवाल

गंदगी को साफ़ करने में इंदौर भारत में नंबर वन,अब न दिखने वाली गंदगी को साफ़ कर इंदौर बने नंबर वन-डॉ चेतन सोलंकी

इंदौर में बने परमानेंट ग्रीन आर्मी – विष्णु लांबा

पाँच हज़ार साल पुरानी तकनीक से पौधा रोपण करना ,स्थानीय प्रजातीय पोधों को अलग अलग समूह में लगाना कारगर- विष्णु लांबा

मुख्य अतिथि —-

-श्री पुष्यमित्र भार्गव ( महापौर इंदौर)
-डॉ राजेंद्र सिंह ( वॉटर मेन ऑफ़ इंडिया)
-डॉ चेतन सिंह सोलंकी ( सोलर मेन ऑफ़ इंडिया )
-श्री विष्णु लांबा ( ट्री मेन ऑफ़ इंडिया)
श्री श्याम सुंदर पालीवाल( पद्म विभूषण )
श्री अंशुमन जसवाल ( डायरेक्टर NMIMS इंदौर)
-श्री विश्वास व्यास श्री वरुण मित्तल (कार्यक्रम के सूत्रधार)

देश दुनिया में लगातार बढ़ते तापमान और क्लाइमेट चेंज को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा होती आई है लेकिन इस वर्ष की गर्मी से हलाकान होने के बाद इंदौर को भी इसकी चिंता सताने लगी है इसी क्रम में गुरुवार को पानी,वृक्ष और सोलर को लेकर महापौर पुष्यमित्र भार्गव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय वक्ताओं के साथ संगोष्ठी आयोजित की गई। नर्सीमूँजी यूनिवर्सिटी के सभागार में आयोजित संगोष्ठी में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानो के छात्रों एंजियो के सदस्यों शिक्षकों एवं प्रबुद्ध नागरिकों की उपस्तिथि में विषय विशेषज्ञों द्वारा संबोधित कर अपनी बात रखी।

– पुष्यमित्र भार्गव( महापौर इंदौर) ने कहा कि एक एसी संघोष्ठि के लिए हम एकत्रित हुए है जो सिर्फ़ चिंतन के लिए नहीं बल्कि चिंतन को एग्जीक्यूट करने वाला सेमिनार है ।हम अच्छे काम के लिए प्रयास करते है तब भी अपने अपने क्षेत्र में काम करने वाले महारथी हमे नहीं मिलते है लेकिन हमारा सौभाग्य है कि हमारे बीच में सभी महारथी उपस्थित है।हम सभी चीज़ में आगे है लेकिन ग्रीन कवरेज में हम बहुत पीछे है। मेरी पीड़ा है की मेरा शहर ग्रीनरी में पीछे है। पेड़ एक मात्र रास्ता है जो हिट वेब को रोक सकता है ,पेड़ पानी को संरक्षित करने का काम भी करेंगे, इंदौर बागों का शहर था लेकिन अब बाग नहीं बचे।

– डॉ राजेंद्र सिंह ( वाटर मेन ऑफ़ इंडिया) ने कहा कि यह शहर सब में नंबर वन है लेकिन एक और चीज़ है जिसने इंदौर नंबर वन है वो है की बैठ कर चर्चा करने का ये बहुत अच्छी बात है। इंदौर को हेल्दी बनाना है इंदौर में हरियाली लाने से पहले पानी के लिए सोचना होगा।इंदौर को अपनी धरती की मिट्टी का स्वस्थ ठीक करने के लिए पानी को रोकना पड़ेगा।नर्मदा पर आश्रित कम रहना होगा ,हम कब तक इंदौर से पानी लेंगे क्यों इंदौर पानी दार शहर नहीं बन सकता है ।इंदौर के युवाओं को सोचना होगा कि उनकी धरती ,प्रकाश ,हरियाली का अपने जीवन को बेहतर और लंबा चलाने के लिए कैसे बेहतर कर सकते है। जब आपका इंटेंशन ठीक हो तो सब संभव हो जाता है,शुद्ध विचार को जानता मूवमेंट बना देती है और इंदौर यह कर सकता है।
– इंदौर में बारिश का पानी इंदौर में ही रुकना चाहिए ।
– जहां भी हमारी पहाड़ी और वीरान ज़मीन है उन पर प्लांटेशन का काम करना चाहिए।
– हमारे छात्रों को यह काम अपना काम मान कर करना चाहिए।

– श्याम सुंदर पालीवाल ( पद्म श्री ) ने कहा कि मैंने जो भी काम किया उसको परिपूर्ण किया है इसकी प्रेरणा मुझे इंदौर से मिलती है।पिपलांतरी जिसके लिये में काम करता हूँ ,उससे ज़्यादा में इंदौर को जानता हूँ चाहे कुछ भी हो जाए काम एसा करो की दुनिया आपके पीछे आ जाए।हमें इंदौर में हरियाली को बढ़ाने के लिए बीज रोपण ज़्यादा उपयोगी होंगे ।परिवार की जनसंख्या के आधार पर पैड लगाना अनिवार्य करना होगा इस तरह की प्रतिज्ञा लेना होगी। आज जो तापमान बढ़ा है उसके जवाबदार हम ही है किसी को सुनने से कुछ नहीं होता ख़ुद करने से होता है

– चेतन सिंह सोलंकी ( सोलर मेन) ने कहा कि जितने कर्म हम करते है सबके पीछे एक ही उद्देश्य है कि खुश होना,आज इस कार्यक्रम की शुरुआत प्रकृति वंदना से की आज पर्यावरण बिगड़ गया है जैसा था वेसा नहीं रहा अब, आपदाओं की संख्या पाँच गुना बढ़ गई है।क्लाइमेट चेंज की मुख्य वजह एनर्जी का अतिरिक्त प्रयोग करना है एटमिसफ़ियर को हमने गर्बेज बैग बना दिया है हमें कार्बन एनर्जी छोड़ कर सोलर एनर्जी पर जाना होगा। दिखने वाली गंदगी को साफ़ करने में इंदौर भारत में नंबर वन है अब न दिखने वाली गंदगी को साफ़ कर इंदौर को अंतरराष्ट्रीय स्तर यूनाइटेड नेशन में आना है।

– विष्णु लांबा (ट्री मेन ऑफ़ इंडिया ) ने कि इंदौर जो नंबर बन आया है वो केवल एक व्यक्ति के प्रयास नहीं बल्कि सबके सामूहिक प्रयास है यह संकल्प अकेले महापौर या मंत्री का संकल्प न रहे इसको अपना ख़ुद का संकल्प बनाना होगा।पाँच हज़ार साल पुरानी तकनीक से पौधा रोपण करना होगा इसके तहत स्थानीय प्रजातीय पोधों को अलग अलग समूह में लगाना चाहिए इसे ग्रीन लंग्स कहते है साथ ही ड्रिप एरिगेशन माध्यम से इन्हें जीवित रख सकते है।क्यों ना इंदौर में एक परमानेंट ग्रीन आर्मी बनाई जा सकती है जो इस संकल्प को मज़बूती से पूरा कर सकें।

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