सरकार ने 14 साल गुजर जाने के बावजूद भी पेश नहीं किया जवाब
जबलपुर। सेना में रहते हुए दो युद्ध में शिरकत करते हुए वीरता पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति को सरकार की तरफ से 15 एकड़ भूमि प्रदान की गयी थी। जमीन के पट्टे के लिए उसने तहसीलदार के समक्ष आवेदन किया था। तहसीलदार द्वारा आवेदन पर कोई कार्यवाही नहीं किये जाने के खिलाफ उनके पुत्र ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट जस्टिस एम एस भट्टी की एकलपीठ ने पाया कि 14 साल पूर्व दायर की गयी याचिका में अभी तक सरकार की तरफ से कोई जवाब पेश नहीं किया गया है। एकल पीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए तहसीलदार सोहागपुर को निर्देशित किया है कि चार माह में आवेदन का निराकरण करें।
याचिकाकर्ता साहब सिंह बनकर की तरफ से हाईकोर्ट में साल 2010 को उक्त याचिका दायर की गयी थी। याचिका में कहा गया था कि उनके पिता भोला सिंह भारतीय सेना में थे और दो युद्ध लड़े थे। युद्ध में शौर्य का प्रदर्शन करने के कारण उन्हें वीरता पुरस्कार भी मिला था। वीरता पुरस्कार मिलने के कारण सरकार की तरफ से उन्हें ग्राम महुआ खेड़ा तहसील सोहागपुर जिला होशंगाबाद में 15 एकड़ भूमि दी गयी थी। उनके पिता ने जमीन के पट्टा जारी किये जाने के लिए साल 1995 में सोहागपुर तहसीलदार के समक्ष आवेदन दायर किया था। आवेदन अभी तक लंबित है और उनके पिता की मृत्यु हो गयी है।
एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए अगस्त 2010 में नोटिस जारी किये गये थे। सरकार को अप्रैल 2024 में जवाब पेश करने के लिए अंतिम अवसर प्रदान किया गया था। अंतिम अवसर प्रदान किये जाने के बावजूद भी जवाब पेश नहीं किया गया। एकलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए अपने आदेश में कहा है कि तहसीलदार सोहागपुर ने अभी तक आवेदन पर कोई निर्णय नहीं लिया है तो वह ग्राम सरपंच सहित अन्य संबंधित को सुनवाई का अवसर प्रदान करें। तहसीलदार चार माह की निर्धारित अवधि में आवेदन का निराकरण करें।