माता-पिता नहीं, रहना है पति के साथ

हाईकोर्ट ने खारिज की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका
जबलपुर:बंदी प्रत्याक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान पेश की गयी कॉपर्स रिपोर्ट में हाईकोर्ट को बताया गया कि वह माता-पिता के साथ नहीं, पति के साथ रहना चाहती है। हाईकोर्ट जस्टिस जी एस अहलूवालिया तथा जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल की युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ता ने लडकी के नाबालिग होने के संबंध में याचिका दायर नहीं की है। कॉपर्स की इच्छा अनुसार उसे अपने जीवन जीने की अनुमति प्रदान की जाती है।

सतना निवासी भाई की तरफ से उक्त बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गयी थी। जिसमें उसने आरोप लगाते हुए कहा था कि अनावेदक युवक ने उसकी बहन को बंधक बना रखा है। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट को पुलिस को निर्देशित किया था कि वह कॉपर्स को न्यायालय के समक्ष पेश करें। हाईकोर्ट के आदेश पर पुलिस द्वारा कॉपर्स को न्यायालय के समक्ष पेश किया गया था।
कॉपर्स की पहचान छुपाने के लिए याचिका की सुनवाई के दौरान लाइव स्ट्रीमिंग बंद करवा दी थी। कॉपर्स ने युगलपीठ को बताया कि वह वयस्क हैं और अपने पति के साथ रहना चाहती है। वह अपने माता-पिता के साथ नहीं जाना चाहती है। युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ याचिका को खारिज कर दिया।

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