भूमि के पुनर्जीवन के लिए महत्वपूर्ण जैव ऊर्जा: तोमर

भोपाल, 05 जून (वार्ता) मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भूमि के पुनर्जीवन, मरुस्थलीकरण को रोकने और सूखे से लड़ने की क्षमता विकसित करने में जैव ऊर्जा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी, क्योंकि ये संधारणीय ऊर्जा समाधान प्रदान करती है।

आधिकारिक जानकारी में यहां बताया गया कि श्री तोमर विश्व पर्यावरण दिवस पर आज दिल्ली के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार जैविक ऊर्जा का अधिकतम उपयोग कर कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र के सतत एवं संतुलित विकास के लिए मोदी सरकार प्रतिबद्ध है।

‘ग्रामीण स्वयंसेवी संस्थाओं के परिसंघ’ (सीएनआरआई) द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में अपने मुख्य भाषण में श्री तोमर ने कहा कि दुनियाभर में पर्यावरण तंत्र पर संकट की तलवार लटक रही है। जंगलों और सूखी भूमि से लेकर खेतों और झीलों तक जो मनुष्य जीवन के लिए अतिआवश्यक है, वो संकट में है। दुनियाभर में 2 बिलियन हेक्टेयर से ज्यादा भूमि खराब हो चुकी है, जोकि भारत और रूस के बराबर है। हर साल 12 मिलियन हेक्टेयर अनुमानित भूमि का स्तर खराब हो जाता है, जिसका सीधा असर वैश्विक खाद्यान्न और जल आपूर्ति पर पड़ता है। भूमि खराब होने 3.2 बिलियन लोग यानि दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी प्रभावित होती है, जिसका सबसे ज्यादा असर ग्रामीण समुदायों, लघु किसानों और गरीबों पर पड़ता है। इस पर शीघ्रातिशीघ्र कार्य करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में सरकार ने जैव ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं, जो जैव ईंधन, जैविक गैस और अपशिष्ट ऊर्जा के प्रोजेक्टों पर केंद्रित हैं। उन्होंने राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम जैसी योजनाओं की प्रशंसा की, जिसमें अपशिष्ट ऊर्जा कार्यक्रम, जैव ईंधन कार्यक्रम, और जैविक गैस कार्यक्रम जैसी योजनाएं शामिल हैं।

कार्यक्रम में भाग लेते हुए इफ्को के चेयरमैन, विश्व सहकारिता आर्थिक मंच (वर्ल्ड कोऑपरेशन इकोनॉमिक फोरम) के संस्थापक और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (नेशनल कोआपरेटिव यूनियन ऑफ इंडिया – एनसीयूआई) के अध्यक्ष दिलीप संघाणी ने कहा कि नई वैश्विक व्यवस्था में जलवायु परिवर्तन की बड़ी वैश्विक चुनौती से निपटने के लिए सहकारी आर्थिक ढांचे को बदलना पड़ेगा। जैव-अर्थव्यवस्था की बड़ी भूमिका रहेगी, जो आजीविका समाधान प्रदान करेगी। दुनिया को एसडीजी चुनौतियों से निपटने के क्षेत्र में भारत के कार्यों से सीखने की आवश्यकता है। ग्रामीण स्वयंसेवी संस्थाओं के परिसंघ के महासचिव बिनोद आनंद ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किये।

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