नवीन पटनायक का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा

भुवनेश्वर 05 जून (वार्ता) बीजू जनता दल (बीजद) सुप्रीमो नवीन पटनायक ने बुधवार को ओडिशा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और इसी के साथ प्रदेश की राजनीति में बीजद के लंबे दौर की समाप्ति हो गयी।

श्री पटनायक ने यहां राजभवन में राज्यपाल रघुबर दास को औपचारिक रूप से अपना इस्तीफा सौंप दिया।

वर्ष 1997 में अपने पिता एवं बीजद के संस्थापक बीजू पटनायक के निधन के बाद राजनीति में प्रवेश करने के बाद ओडिशा की राजनीति में एकछत्र राज करने वाले श्री नवीन पटनायक के लिए यह सुखद अंत नहीं रहा। हालिया विधानसभा चुनाव में अपनी पारंपरिक हिंजिली निर्वाचन क्षेत्र के साथ ही कांटाबांजी विधानसभा सीट से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2019 के चुनाव में उन्होंने हिंजिली सीट 60,160 वोटों के अंतर से जीती, जबकि 2014 में उन्होंने 76,586 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी।

पांच बार मुख्यमंत्री का पदभार संभाल चुके और छठी बार पदभार संभालने की आकांक्षा लिए श्री पटनायक भारतीय राजनीति में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का इतिहास बनाने वाले से सिक्किम के पवन कुमार चामलिंग का रिकॉर्ड तोड़ने से चूक गये।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि श्री पटनायक की लोकप्रियता में लगातार गिरावट काफी हद तक पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं को हाशिए पर रखने की उनकी अपनी नीति के कारण है। उनके लंबे राजनीतिक जीवन का सबसे बुरा समय तब आया जब उन्होंने तमिलनाडु के एक गैर-ओडिया आईएएस अधिकारी वी.के. पांडियन के साथ मिलकर प्रशासन का प्रबंधन करना शुरू किया। पांडियन पर नौकरशाहों के एक निहित समूह के साथ प्रशासन और पार्टी के मामलों को चलाने के आरोप लगने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय भी सार्वजनिक जांच के दायरे में आ गया। नतीजा यह हुआ कि वह अपने ही पार्टी के लोगों और मंत्रियों के लिए एक तरह से परेशानी का सबब बन गये। उन्होंने खुद को अपने आधिकारिक आवास नवीन निवास में अलग-थलग कर लिया और कभी-कभी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठकों में भाग लेने लगे।

इन परिस्थितियों में श्री पटनायक के खिलाफ लोगों के बीच यह धारणा बन रही थी कि वह अब बिना ओडिया लोगों के राज्य पर शासन करने की कोशिश कर रहे हैं। यही तथ्य भाजपा के लिए प्रमुख चुनावी मुद्दा बन गया, जिसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने श्री पटनायक पर जोरदार हमला बोला और उन पर अपनी सरकार को गैर-ओडिया बाबुओं को आउटसोर्स करने का आरोप लगाया।

वर्ष 2024 के चुनाव में ओडिशा के राजनीतिक इतिहास में पहली बार सरकार बनाने के लिए भाजपा का जबरदस्त उदय हुआ तथा 24 साल के लंबे अंतराल के बाद राज्य में बीजद का किला ढह गया।

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