जन्मदिन से पहले योगी को मिल सकता है जीत का तोहफा

लखनऊ, 2 जून (वार्ता) पांच जून को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जन्मदिन है। चार जून को लोकसभा चुनाव समेत उत्तर प्रदेश के विधानसभा उपचुनाव का भी परिणाम घोषित होगा। अगर एग्जिट पोल के आंकड़ों पर भरोसा करें तो योगी को जन्मदिन के पहले जीत का तोहफा मिल सकता है।

दरअसल,लोकसभा चुनाव के साथ उत्तर प्रदेश विधानसभा की चार सीटों पर उपचुनाव हुये हैं। जिन चार सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, उनमें से तीन पर भाजपा और एक पर सपा ने विधानसभा चुनाव-2022 में जीत हासिल की थी। हाल के उपचुनावों के परिणाम पर नजर डालें तो गोला गोकर्णनाथ, रामपुर और छानबे विधानसभा सीट पर मतदाताओं ने योगी के विकास पर बटन दबाया तो लोकसभा उपचुनाव में एक तरफ ‘आजम का गढ़’ ढहाया।

2022 विधानसभा चुनाव में ददरौल से मानवेंद्र सिंह ने कमल के निशान पर जीत हासिल की थी। उनके निधन के उपरांत यहां उपचुनाव में पार्टी ने उनके पुत्र अरविंद सिंह को मैदान में उतारा है। योगी ने अरविंद के लिए चुनाव प्रचार भी किया। लखनऊ पूर्वी से विधायक, पूर्व कैबिनेट मंत्री व भाजपा के कद्दावर नेता आशुतोष टंडन ‘गोपाल’ के निधन से यह सीट रिक्त हो गई। पार्टी ने यहां से ओपी श्रीवास्तव को प्रत्याशी बनाया तो योगी ने उनका हाथ थामकर मतदाताओं से कमल खिलाने की अपील की। आमचुनाव में सोनभद्र की दुद्धि सीट भी भाजपा के रामदुलार पर मतदाताओं ने दुलार दिखाया, लेकिन यह सीट रिक्त होने से यहां भी उपचुनाव हुआ। यहां से भाजपा प्रत्याशी श्रवण कुमार गोंड के लिए भी मुख्यमंत्री ने पसीना बहाते हुए दो-दो बार जनसभा की। वहीं गैंसड़ी विधानसभा से सपा विधायक शिवप्रताप यादव के निधन के उपरांत हुए उपचुनाव में भाजपा ने पूर्व विधायक शैलेष कुमार सिंह शैलू को टिकट दिया। योगी ने विकास के बलबूते उनके लिए वोट मांगा।

गोला गोकर्णनाथ, रामपुर, स्वार टांडा और छानबे विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुआ। गोला गोकर्णनाथ में विधायक अरविंद गिरि के निधन के उपरांत उपचुनाव में भाजपा ने उनके पुत्र अमन गिरि को टिकट दिया। सीएम योगी ने उपचुनाव में भी जनता से भाजपा के पक्ष में अपील की तो अमन जीतकर लखनऊ पहुंचे। वहीं स्वार टांडा में भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस) ने शफीक अंसारी पर विश्वास जताया और छानबे सीट पर अपना दल एस विधायक राहुल कोल के निधन के उपरांत उनकी पत्नी रिंकी कोल को टिकट मिला। योगी ने सहयोगी दलों के दोनों प्रत्याशियों के लिए न सिर्फ वोट मांगा, बल्कि जीत की रणनीति भी तय की। परिणाम रहा कि विधानसभा उपचुनाव की यह दोनों सीट भी सहयोगी दल ने जीती। वहीं 8 दिसंबर 2022 को रामपुर में हुए उपचुनाव में दस बार के विधायक आजम खां का किला ढह गया और आकाश सक्सेना चुनाव जीते। वहीं विधान परिषद के उपचुनावों में भी कमल का कमाल बरकरार रहा। लक्ष्मण आचार्य के राज्यपाल व बनवारी लाल दोहरे के निधन के कारण रिक्त हुए उपचुनाव में भी भाजपा के पद्मसेन चौधरी व मानवेंद्र सिंह ने जीत हासिल की।

रामपुर व आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव भी योगी आदित्यनाथ के कुशल प्रशासनिक नेतृत्व का ही असर रहा कि 2022 में यहां खास की राजनीति पर विराम लग गया। रामपुर में जहां भारतीय जनता पार्टी के घनश्याम सिंह लोधी ने 367397 वोट (51.96 फीसदी) पाकर यह सीट सपा से छीन ली। वहीं सपा को 325205 वोट (46 फीसदी) ही मिले। भाजपा को पोस्टल से 293 और सपा को महज 149 वोट ही मिले। जब घनश्याम सिंह लोधी चुनाव जीत गए, तब भी योगी आदित्यनाथ मुखिया का फर्ज निभाते हुए लोगों का आभार जताने पहुंचे। जून 2022 में आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में भी सपा की साइकिल को योगी आदित्यनाथ ने पंक्चर कर दिया। समाजवादी पार्टी ने उपचुनाव में यहां से परिवारिक सदस्य धर्मेंद्र यादव को उतारा तो भारतीय जनता पार्टी ने भोजपुरी गायक/नायक दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ पर दांव लगाया।

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने अपने भाई धर्मेंद्र यादव को रण की भूमि में छोड़ दिया तो योगी आदित्यनाथ ने भाजपा के ‘निरहुआ’ का हाथ थामे रखा और उन्हें जीत दिलाकर दिल्ली भेज दिया। यहां योगी के भेदभाव रहित कार्यों की बदौलत दिनेश लाल यादव 312768 वोट (34.39 फीसदी) पाए, जबकि धर्मेंद्र यादव 304089 वोट ( 33.44 फीसदी) ही पा सके। पोस्टल वोट का दंभ भरने वाली सपा को यहां 252 और भाजपा को 336 वोट मिले।

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