शाजापुर: धर्म और राष्ट्रभक्ति की राह में बलिदान का अनूठा उदाहरण शाजापुर जिले के ग्राम झोंकर के अम्बाराम परिहार ने प्रस्तुत किया. वर्ष 1946 में संघ शिक्षा वर्ग में जाने का संकल्प लेने पर पिता ने चेतावनी दी कि जाने पर सिर काट देंगे. चेतावनी के बावजूद अम्बाराम शिक्षा वर्ग के लिए घर से निकले, तब पिता ने तलवार से हमला कर अपने ही पुत्र की हत्या कर दी. पुत्र का बलिदान देखकर झोंकर को बलिदानी ग्राम की उपाधि मिली. इसके बाद पिता ने पश्चाताप कर स्वयं संघ की शाखा से जुड़कर आजीवन स्वयंसेवक के रूप में सेवा दी.
शाजापुर जिले में संघ का 88 वर्षों का गौरवशाली इतिहास है. यहां 1937-38 में पहली शाखा लगी थी। 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद लगे प्रतिबंध में कई स्वयंसेवक जेल गए, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने संघ को निर्दोष माना. जिले में आज भी दो दर्जन से अधिक परिवारों की चार-पांच पीढ़ियां संघ से जुड़ी हैं. इनमें गुप्ता, कसेरा, राठौर, भावसार जैसे परिवार शामिल हैं.
संघ की यात्रा कसेरा बाजार के छोटे भवन से शुरू होकर आज निजी भवन तक पहुंची. जिले में किसान संघ, विद्या भारती, एबीवीपी, विहिप जैसे कई अनुशांगिक संगठन सक्रिय हैं. चीलर बांध पर 1967 में गुरुजी गोलवलकर का कार्यक्रम हुआ था, वहीं 1975 में आपातकाल के दौरान कई स्वयंसेवक जेल गए.
2 अक्टूबर को शाजापुर नगर में विजयादशमी पथ संचलन का आयोजन होगा, जो हायर सेकेंडरी ग्राउंड से प्रारंभ होकर नगर के प्रमुख मार्गों से गुजरेगा और पुनः ग्राउंड पर समाप्त होगा
