भाजपा में अब अध्यक्ष के लिए बंधने लगे घुंघरू

लोकसभा, विधानसभा के बाद अब भाजपा संगठन के चुनाव की सुगबुगाहट

 

शाजापुर, 28 मई. लोकसभा और विधानसभा चुनाव सम्पन्न होते ही आने वाले महीने में भाजपा संगठन के चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो जाएगी. कई भाजपा नेताओं ने जिलाध्यक्ष और अध्यक्ष के लिए पांव में घुंघरू बांधकर घूमना शुरू कर दिया है. एक दर्जन से अधिक भाजपा नेता इस बार जिलाध्यक्ष के दावेदार हैं, तो इतने ही दावेदार शाजापुर नगर अध्यक्ष के हैं. अब देखना यह है कि इस बार भाजपा जिलाध्यक्ष शुजालपुर से ही मिलता है या फिर शाजापुर से.

गौरतलब है कि भाजपा के संगठन का चुनाव का सीजन आ गया है. संभवत: जुलाई-अगस्त में संगठन के चुनाव हो सकते हैं. अब नए जिलाध्यक्ष को लेकर कई दावेदार सक्रिय हैं. बीते एक दशक से भाजपा जिलाध्यक्ष शुजालपुर से बनते आ रहे हैं. अरुण भीमावद के बाद शाजापुर को जिलाध्यक्ष की कमान नहीं मिली. अम्बाराम कराड़ा की बात करें, तो वे एक्सीडेंटल अध्यक्ष थे और उनकी विदाई के बाद शुजालपुर के अशोक नायक को कमान दी गई थी. अब नए अध्यक्ष को लेकर कई दावेदार इन दिनों सक्रिय हैं और अपने-अपने आकाओं के चरण चुंबन करने में लगे हुए हैं. दावेदारों की बात करें, तो जिलाध्यक्ष की दौड़ में डॉ. रवि पांडे, अशोक कविश्वर, शीतल भावसार, मनोहर विश्वकर्मा, दिनेश शर्मा, विजय बैस के अलावा और भी कई नाम हैं. लेकिन भाजपा में हो सकता है दावेदारों के अलावा कोई एक दम नया नाम सामने आए, लेकिन इन दिनों कई दावेदार अपने-अपने तरीके से जिलाध्यक्ष बनने के लिए सक्रिय नजर आ रहे हैं. डॉ. रवि पांडे की बात करें, तो वे लंबे समय से आरएसएस और भाजपा की राजनीति से जुड़े हैं. पिछली बार वे दावेदार थे, लेकिन ओबीसी कार्ड के चलते अम्बाराम कराड़ा का जिलाध्यक्ष पद पर भाग्योदय हुआ था. अब देखना है कि इस बार जिलाध्यक्ष ओबीसी से होगा या फिर सामान्य वर्ग से.

 

घमासान होगा संगठन का चुनाव

 

दो महीने बाद होने वाले भाजपा संगठन के चुनाव में दावेदारों की बाढ़ आने से इस बार जिलाध्यक्ष और नगर अध्यक्ष को लेकर राजनीतिक घमासान बढ़ सकते हैं. पूर्व नगर अध्यक्ष किरण ठाकुर, पूर्व नपाध्यक्ष प्रदीप चंद्रवंशी, पूर्व नगर अध्यक्ष मुन्ना भावसार के अलावा और भी ऐसे दावेदार हैं, जो भाजपा जिलाध्यक्ष के लिए दावेदारी कर रहे हैं. अब देखना यह है कि आने वाले समय में इन दावेदारों के अलावा भाजपा जिलाध्यक्ष पद पर कोई नया चेहरा मिलता है या फिर वर्तमान जिलाध्यक्ष को ही दोबारा मौका मिलता है.

 

क्या आपस में एक-दूसरे का करेंगे समर्थन

 

राजनीति में ना कोई स्थायी मित्र होता है और ना ही स्थायी शत्रु. अब संगठन चुनाव की सुगबुगाहट के पहले ही कई भाजपा के मित्र ऐसे हैं, जो जिलाध्यक्ष की दावेदारी के लिए सक्रिय हैं. भाजपा के तीन आपसी मित्र दिनेश शर्मा, शीतल भावसार, मनोहर विश्वकर्मा. यदि इनमें से किसी को मौका मिलता है, तो क्या उनके दो मित्र इसका समर्थन करेंगे. क्योंकि तीनों ही जिलाध्यक्ष के दावेदारों के नाम पर चर्चा में है. दिनेश शर्मा दो बार महामंत्री रह चुके हैं. अब देखना है कि यदि शीतल भावसार जो पूर्व नगर अध्यक्ष का दायित्व दो बार संभाल चुके हैं, उनके नाम पर यदि सहमति बनती है, तो मनोहर विश्वकर्मा और दिनेश शर्मा की राजनीति की मित्रता निभाएंगे या फिर अपनी दावेदारी करेंगे. यही स्थिति शीतल भावसार के साथ बनी, तो क्या वे अपनी मित्रता के लिए जिलाध्यक्ष की दावेदारी छोड़ देंगे या डटे रहेंगे.

 

शुजालपुर का रहा है जिलाध्यक्ष में पलड़ा भारी

 

भाजपा जिलाध्यक्ष के पद पर शुजालपुर का कब्जा रहा है. स्व. नेमीचंद जैन, स्व. नरेंद्र सिंह बैस और वर्तमान में अशोक नायक. ये शुजालपुर की राजनीति से ही आते हैं और जिलाध्यक्ष रहे हैं. आगर जिला बनने के पहले सुसनेर से जिलाध्यक्ष की ताजपोशी होती रही है. शाजापुर मुख्यालय से केसरीमल सांकलिया, अरुण भीमावद जिलाध्यक्ष रहे हैं. अब देखना है कि इस बार अगस्त में होने वाले संगठन चुनाव में भाजपा को नया जिलाध्यक्ष शाजापुर से मिलता है या फिर शुजालपुर से.

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