नयी दिल्ली 27 मई (वार्ता) विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने दक्षिण प्रशांत महासागर द्वीप राष्ट्र पापुआ न्यू गिनी में हाल ही में हुई भूस्खलन त्रासदी में बड़ी संख्या में जानमाल के नुकसान होने पर भारत की ओर से दुख व्यक्त किया और संकट की इस घड़ी देश वहां के लोगों के साथ है।
श्री जयशंकर ने सोशल मीडिया एक पोस्ट में कहा, “भारत की संवेदनाएं पापुआ न्यू गिनी की सरकार और लोगों के साथ हैं, इस कठिन समय में भारत अपने दोस्तों के साथ एकजुटता से खड़ा है।
इस बीच, पापुआ न्यू गिनी सरकार के एक अधिकारी ने संयुक्त राष्ट्र एजेंसी को बताया कि भूस्खलन में 2,000 से अधिक लोग जिंदा दफन होने की आशंका जतायी गयी है और सरकार ने अंतरराष्ट्रीय सहायता की गुहार लगायी है।
डॉ जयशंकर ने कहा, “पापुआ न्यू गिनी में हाल ही में हुई भूस्खलन की दुर्घटना में लोगों की जान जाने पर हमें दुख है, हमारी संवेदनाएं वहां सरकार और जनता के साथ है। भारत इस कठिन समय में अपने दोस्तों के साथ एकजुटता से खड़ा है।”
इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) ने प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा था कि पापुआ न्यू गिनी में बड़े पैमाने पर भूस्खलन में 670 से अधिक लोग मारे गए हैं। आपातकालीन कर्मचारियों और पीड़ितों के रिश्तेदारों ने किसी के जीवित बचे रहने की उम्मीद छोड़ दी थी। ताजा रिपाेर्ट के अनुसार मरने वालों की संख्या बढ़कर 2000 से अधिक हो गयी है।
ऑस्ट्रेलिया से लगभग 2,300 किमी उत्तर में दक्षिण प्रशांत द्वीप के इस देश में अपादा प्रभावित क्षेत्र में दुर्गम परिस्थितियों के कारण सहायता और बचाव अभियान में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं।
पापुआ न्यू गिनी में आईओएम के मिशन के प्रमुख सेरहान एक्टोप्राक ने कहा कि मृतकों की संख्या स्थानीय और प्रांतीय अधिकारियों की गणना पर आधारित है कि भूस्खलन से 150 से अधिक घर जमीदोज हो गए हैं और आसपास के 60 घर मलबे में दब गए हैं।
श्री एक्टोप्राक ने एक बयान में कहा, “अभी भी इस क्षेत्र में भूस्खलन हो रहा है, चट्टानें गिर रही हैं, तथा जलधारा में मिट्टी जमा होने से बाढ़ का खतरा भी बढ़ता जा रहा है।
एजेंसी ने कहा कि एंगा प्रांत के यमबाली गांव के प्रभावित क्षेत्र के पास 250 से अधिक घरों के लगभग 1,250 लोग विस्थापित हो गए हैं, उनमें से कई लोग अस्थायी शिवरों में रखा गया है।