अस्ताना/नई दिल्ली, (वार्ता) भारत ने नजदीकी सम्पर्क के निर्माण पर जोर देते हुए कहा है कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) देश क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि लाने के लिए ईरान के चाबहार बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के साथ साथ भारत-मध्य पूर्व-यूरोप के आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) अधिकतम उपयोग की दिशा में काम कर सकते हैं।
विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) दम्मू रवि ने कजाकिस्तान के अस्ताना में एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में अपने संबोधन में कहा कि किसी भी क्षेत्र की प्रगति के लिए मजबूत कनेक्टिविटी महत्वपूर्ण है। यह सदस्यों के बीच बेहतर व्यापार और विश्वास का निर्माण करता है। उन्होंने परोक्ष संदर्भ से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है) का जिक्र करते हुये कहा कि सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना आवश्यक है।
श्री रवि ने आतंकवाद को दुनिया की वैश्विक चुनौतियों में से एक बताया और यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है। उन्होंने आतंकवाद की चुनौती से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई का आह्वान किया।
उनहोंने कहा, “इसके स्वरूप और अभिव्यक्तियों के बावजूद, हमें सीमा पार आतंकवाद और आतंक के वित्तपोषण सहित आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में एकजुट होना चाहिए। ऐसे गंभीर मामलों पर दोहरे मापदंड के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।’ एससीओ-आरएटीएस तंत्र इस संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा। भारत कट्टरपंथ का मुकाबला करने के लिए 2018 में एससीओ राष्ट्राध्यक्षों द्वारा युवाओं को दिए गए संबोधन से निकले एक्शन प्रोग्राम को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।’