जबलपुर: गांव से मजदूरों का शहर की तरफ बढ़ता पलायन खेती के लिये मजदूरों की मुख्य समस्या बनी हुई है। साथ ही धान के खेतों में पानी भरे होने व ज्वार, बाजरा, मक्का, गन्ना, कपास जैसी बड़ी फसलों मैं एवं छोटे-बड़े फलदार पौधों में हाथों से स्प्रे करने में कठिनाई होने के कारण ड्रोन टेक्नॉलजी आने वाले समय के लिये खेती में वरदान साबित होगी। कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के नवाचारों ने नई क्रांति ला दी है।
इसमें सबसे उल्लेखनीय योगदान ड्रोन टेक्नोलॉजी का है, जिसने किसानों के लिए खेती को न केवल आसान बनाया है, बल्कि उत्पादन में भी वृद्धि की है। ड्रोन टेक्नोलॉजी आज के समय में एग्रीकल्चर के लिए वरदान साबित हो रही है, जो कि कृषि के विभिन्न पहलुओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। ड्रोन टेक्नोलॉजी के उपयोग से कृषि कार्यों में समय और श्रम की बचत होती है। ड्रोन के माध्यम से बड़े-बड़े खेतों की निगरानी और छिडक़ाव जैसे कार्य बहुत ही कम समय में किए जा सकते हैं। इससे किसानों को अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिए अधिक समय मिल जाता है।
खेतों की नमी की स्थिति का लग जाता है पता
ड्रोन टेक्नोलॉजी से सिंचाई प्रबंधन में भी सुधार किया जा सकता है। ड्रोन से प्राप्त डाटा की मदद से किसानो को उनके खेतों की नमी की स्थिति का पता लगता है। इससे वे अपने फसलों की पानी की जरूरत को समझ पाते हैं और उचित समय में सिंचाई कर सकते हैं। इस तकनीक से पानी की बचत होती है और फसलों की वृद्धि भी बेहतर होती है। ड्रोन से प्राप्त डेटा की मदद से फसल की वृद्धि की गति और गुणवत्ता का आकलन किया जा सकता है, साथ ही, किसान फसल की सेहत और उपज का भी सटीक अनुमान लगा सकते हैं। इससे किसानों को बाजार में फसल की उचित कीमत मिलने में भी मदद मिलेगी।