नवभारत मुहिम बनी जनता की मांग: हिरन नदी को अतिक्रमण से मुक्त करायें, अस्तित्व बचायें

अतिक्रमण से समाप्त हुये हिरन नदी के अस्तित्व को पुनर्जिवित करने लामबंद हुये शहरवासियों ने हिरन नदी के विकास के लिए प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से की मांग
सीधी : शहर की हिरन नदी को अतिक्रमण से मुक्त कराते हुये अस्तित्व बचाने की मांग जनता द्वारा शुरू कर दी गई है। अतिक्रमण से समाप्त हुये हिरन नदी के अस्तित्व को पुनर्जीवित करने शहरवासी लामबंद हो रहे हैं। शहरवासियों ने हिरन नदी के विकास के लिये प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से मांग की है।बताते चलें कि शहर की काफी पुरानी हिरन नदी करीब चार दशकों से अतिक्रमणकारियों की गिरफ्तार में फंसकर दम तोड़ती नजर आ रही है। शहर के थनहवा टोला, जामा मस्जिद के पीछे, चकदही मार्ग, सिंगरौली मार्ग में हिरन नाला पुल तक सबसे ज्यादा अतिक्रमण किया गया है।

यहां के हालात यह है कि कई अतिक्रमणकारी नदी को पाटकर आगे भी निर्माण कार्य शुरू कराने की तैयारी बना रहे हैं। हिरन नाला के तट पर अतिक्रमण कर उसे अपने पट्टे की भूमि बताते हुये सांठगांठ से रजिस्ट्री कराने का सिलसिला भी सालों से चल रहा है। चर्चा के दौरान हिरन नदी के अस्तित्व को बचाने की मांग करते हुये कुछ प्रबुद्ध लोगों ने कहा कि सीधी शहर में पूर्व समय में सूखा नदी एवं हिरन नदी जैसी दो नदियां मौजूद थीं।इन नदियों से पुराने लोगों का निस्तार जुड़ा हुआ था। यहां तक कि लोग स्नान करने के लिये भी इन नदियों में जाते थे। 70 के दशक के प्रारंभ में सीधी शहर में नलजल सप्लाई गोरियरा बांध के माध्यम से शुरू होने पर लोगों का निस्तार नदियों से कम हो गया और अतिक्रमणकारियों द्वारा इन नदियों के तट पर अवैध कब्जा करने के लिये मकान का निर्माण शुरू कर दिया गया। जिसमें राजस्व एवं नजूल अमले की गहरी सांठगांठ रही है जिसके चलते पट्टा भी फर्जी तौर पर बनना शुरू हो गया।

क्या कहते हैं शहरवासी
दुनिया की तमाम सभ्यताएं नदियों के किनारे फली-फूली हैं। प्राचीन काल से ही नदियां मां की तरह हमारा भरण-पोषण करती आ रही हैं। नदियों को सहेजने के लिये हम गंभीर इसलिए नहीं हैं क्योंकि हमें इसकी महत्ता का अंदाजा नहीं है। औद्योगिकरण के दौर में बेतरतीब विकास के कारण अब नदियों के प्रति हमारी राक्षसी प्रवृत्तियां साफ-साफ दिखती हैं। नदियों से मशीनों से बेजा रेत खनन और नदियों के पास अतिक्रमण होने से नदियों का दायरा सिमटता जा रहा है। नदियों को बचाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कोई पहल नहीं हो पा रही है। नदियों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने से कई प्रकार के जीवों का बजूद मिट चुका है और पेयजल की समस्या भी गहराने लगी है।
उमेश तिवारी, वरिष्ठ समाजसेवी सीधी
सबसे पहले नवभारत को इस मुहिम के लिए साधुवाद। सीधी में प्रशासनिक अमला पूरी तरह लाचार हो चुका है, चाहे अवैध मांस मंडी के विस्थापन की बात हो, चाहे सरकारी भू-भाग पर अतिक्रमण की बात हो, प्रशासन हर जगह नींद में रहता है। इस सबके जिम्मेदार जिले के जनप्रतिनिधि भी है जिनको ऐसे जनहित के मुद्दों से कोई सरोकार नहीं है। ये सिर्फ एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने और आम जनमानस को बेवकूफ बनाने का कार्य करते है।
विपिन कुमार सिंह, सीधी
नवभारत को बहुत-बहुत धन्यवाद। इस मुहिम में शहर का हर व्यक्ति जुड़ेगा, इस हिरन नदी से हमारे सीधी शहर के लोगो की बहुत यादें जुड़ी है। हिरन नदी के अस्तित्व को बचाने के लिये हमको लगता है हर व्यक्ति बहुत मजबूती के साथ खड़ा होगा।
सतीश गुप्ता, समाजसेवी सीधी

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