गया/पटना (वार्ता) केरल की मिट्टी में जन्मी 16 वर्षीय धलाना के. एस. की कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं बल्कि अटूट विश्वास और कभी हार न मानने वाले हौसले की मिसाल है।
खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 के मंच पर कलारीपयट्टू की इस योद्धा ने पिछले तीन सालों में दो स्वर्णिम और एक कांस्य पदक जीतकर न सिर्फ अपने राज्य का नाम रोशन किया है बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि यदि दिल में कुछ कर गुजरने की चाहत हो और खुद पर अटूट यकीन हो तो मुश्किलों की दीवार भी ढह जाती है।
धलाना, जिनके हाथों में केरल की सदियों पुरानी मार्शल आर्ट कलारीपयट्टू की शक्ति और फुर्ती बसती है, ने बिहार में पहली बार आयोजित हो रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में लड़कियों के चुवा डुकल वर्ग के फाइनल में अपनी कला का अद्भुत प्रदर्शन किया। कर्नाटक की लरीशा शर्मा जैसी मजबूत प्रतिद्वंद्वी के सामने उन्होंने जिस आत्मविश्वास और कौशल का परिचय दिया, उसने उन्हें न सिर्फ स्वर्ण पदक दिलाया बल्कि उनके खेलो इंडिया करियर का दूसरा सुनहरा अध्याय भी लिख दिया।
यह धलाना का तीसरा खेलो इंडिया गेम्स है। मध्य प्रदेश में उन्होंने पहली बार स्वर्ण जीता था, जो उनके भीतर छुपी प्रतिभा का पहला प्रमाण था। इसके बाद पिछले साल तमिलनाडु में उन्हें कांस्य मिला, जो यह दिखाता है कि जीत का सफर हमेशा सीधा नहीं होता लेकिन महत्वपूर्ण है उस राह पर चलते रहना।
अपनी इस नई सफलता के बाद धलाना ने अपनी भावनाओं को साझा करते हुए कहा, “जब आप अपनी कड़ी मेहनत का फल चखते हैं तो एक अजीब सी संतुष्टि मिलती है। उस मेहनत ने ही मुझे यह भरोसा दिलाया कि मैं यह कर सकती हूं। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए मैंने बहुत कुछ छोड़ा है। कई बार चोटें आईं और फिर से उठकर तैयार होना आसान नहीं था।” उनकी आवाज में संघर्ष की गहराई और जीत की मिठास दोनों घुली हुई थी।