लन्दन के फर्जी डॉक्टर के ऑपरेशन से मृत मरीजों की एक सी कहानी जो बाहर गया उसकी बच गई जान

दमोह। मिशन अस्पताल में फर्जी डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम द्वारा की गई ओपन हार्ट सर्जरी में सात लोगों की मौत का आरोप है. इस मामले में सोमवार को दिल्ली से राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम जांच करने दमोह पहुंची. जहां मृतकों की परिजनों के बयान बंद कमरे में दर्ज किए गए. दो दिन और टीम यहां रुकेगी उसके बाद यह रिपोर्ट दिल्ली में पेश की जाएगी। पहली बार इस मामले में सीएमएचओ मुकेश कुमार जैन की शिकायत पर प्रकरण दर्ज कर आरोपी डॉक्टर को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से अभिरक्षा में लिया है. जिसे लेकर पुलिस देर रात तक दमोह पहुँच जाएगी।

यह बोले पीड़ित

दमोह के पुराना बाजार नंबर दो निवासी रहीसा बेगम (63) के बेटे नबी कुरैशी ने बताया 9 जनवरी को सीने में दर्द उठा 10 जनवरी को जिला अस्पताल ले गए.डॉक्टरों ने मिशन अस्पताल भेज दिया, आयुष्मान से इलाज होना था. मिशन अस्पताल में 50 हजार रुपए मांगे गए. बिना जांच रुपए मांगे तो मां को निजी अस्पताल में डॉ. डीएम संगतानी के यहां ले गए.उन्होंने फिर मिशन अस्पताल में भर्ती करा दिया, 5 हजार रुपए जमा किए. कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एन जॉन कैम ने जांच कराई. रिपोर्ट में एक नस 92 तो दूसरी 85 प्रतिशत ब्लॉक मिली.डॉ. केम ने कहा-सर्जरी होगी,14 जनवरी को मां को भर्ती कराया. 15 जनवरी दोपहर 12 बजे मां की सर्जरी हुई और साढ़े 12 बजे मौत हो गई. हमसे डॉक्टर ने कहा-सर्जरी के दौरान दूसरा हार्ट अटैक आया था, 15 दिन बाद जांच रिपोर्ट दी.पहले हमने सामान्य मौत माना, अब लग रहा है बड़ी गड़बड़ी हुई हैं,दूसरों के साथ ऐसा न हो. पटेरा ब्लॉक के भरतला गांव निवासी मंगल सिंह की मौत हुई है.उनके बेटे जितेंद्र ने बताया चार फरवरी को पिताजी को मिशन अस्पताल लेकर गया, एंजियोग्राफी की गई.रिपोर्ट में बताया कि हार्ट अटैक का ऑपरेशन करना होगा.ऑपरेशन के कुछ घंटों में मौत हो गई. जितेंद्र ने बताया ऑपरेशन से पहले और बाद में डॉक्टर नहीं मिले.इन्हीं डाक्टर के द्वारा पिताजी का ऑपरेशन किया गया था, उन्होंने सख्त कार्रवाई की मांग अधिकारियों से की है ताकि किसी ओर के साथ ऐसा न हो.

जबलपुर ले गए तो बच गई जान

इस पूरे मामले को उजागर करने वाले बरी गांव के कृष्णा पटेल ने बताया कि उनके दादाजी को भी मिशन अस्पताल में फरवरी महीने में इलाज के लिए भर्ती किया गया था. एंजियोग्राफी के लिए 50000 मांगे गए थे और ओपन हार्ट सर्जरी की बात की.जिस पर उन्होंने कहा कि एंजियोग्राफी तो 10000 में होती है. इसके बाद डॉक्टर जेम के द्वारा उनसे खराब तरीके से बात की गई और इतने ही पैसों में एंजियोग्राफी की गई और कहा ओपन हार्ट सर्जरी के लिए इन्हें बाहर ले जाओ. वह अपने दादाजी को दूसरे अस्पताल में ले जाना चाहते थे इसलिए एंजियोग्राफी की रिपोर्ट मांगी ताकि दोबारा जांच न करवाना पड़े, लेकिन उन्हें रिपोर्ट नहीं मिली.तब वह दादाजी को जबलपुर लेकर गए वहां उनका इलाज हुआ और वह स्वस्थ होकर घर वापस आ गए यदि मिशन अस्पताल में ही इलाज करते तो उनके दादा की जान भी जा सकती थी.कृष्णा ने बताया कि फर्जी डॉक्टर के खिलाफ उन्होंने जबलपुर और नरसिंहपुर से दस्तावेज इकट्ठे किए इसके बाद बाल आयोग अध्यक्ष दीपक तिवारी को मामले की शिकायत की.

कलेक्टर बोले चल रही है जांच

दमोह कलेक्टर कलेक्टर सुधीर कोचर ने बताया कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम दमोह पहुंची है.आयोग की तीन सदस्यीय टीम ने प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों से चर्चा की है. इसके बाद नरसिंहगढ़ पहुंची, वहां से वापस सीधे सर्किट हाउस होकर मिशन अस्पताल पहुंची. जहां सोमवार रात तक कार्रवाई चलती रही.इसके अलावा टीम पीड़ित परिवार के लोगों से भी मिल रही है,साथ ही ऑपरेशन से संबंधित कागजातों को भी देखा जा रहा है.ये क्रम अभी लगातार चलेगा, आयोग की टीम नौ अप्रैल दोपहर तक रहेगी.टीम जो भी प्रमाण मांग रही है, वो सभी उपलब्ध कराए जा रहे हैं. आयोग के निष्कर्षों के बाद स्थिति साफ हो जाएगी.वहीं टीम के सदस्यों से मीडिया ने बात करनी चाही, इस पर सदस्यों ने कहा कि वे जांच के बाद ही कुछ कहने की स्थिति में होंगे.

इन धाराओं में दर्ज हुआ मामला

सीएसपी अभिषेक तिवारी ने बताया कि सीएमएचओ डॉ. मुकेश जैन ने कोतवाली में जांच प्रतिवेदन देकर आरोपी डॉक्टर के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कराया है. प्रतिवेदन में उल्लेखित तथ्य के आधार पर डॉक्टर नरेन्द्र जान केम और अन्य के विरुद्ध धारा 318 (4),338, 336(3) 340(2)3 (5) वीएनएस, मप्र आयुर्वेज्ञान परिषद अधिनियम 1987 की धारा 24 का अपराध घटित करना पाए जाने से मामला दर्ज कर विवेचना में लिया गया है.

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