नयी दिल्ली 26 मार्च (वार्ता) कांग्रेस ने बुधवार को राज्यसभा में कहा है कि स्थानीय प्रशासन को सरकार की नीतियों और कानूनों के क्रियान्वयन में ईमानदारी बरतनी होगी और आम जनता के हित में काम करना होगा।
कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने आज राज्यसभा में बैंककारी विधियां (संशोधन) विधेयक 2024 पर चर्चा शुरु करते हुए कहा कि इस विधेयक से पांच कानूनों में बदलाव होगा, लेेकिन क्रियान्वित करने की मंशा ठीक होनी चाहिए। अधिकारियों को ईमानदारी बरतनी होगी। आम जनता के हित में काम करना होगा। उन्होंने कहा कि विधेयक से सहकारी बैंकों के प्रबंधन में बदलाव होगा। उन्होंने कहा कि सरकार बैंकों का ऋण लेने भागने वाले लोगों को माफी दे रही है। उन्होंने कहा कि इन लोगों को रोका जा सकता था लेकिन संबंधित अधिकारियों ने ढील दी।
बैंककारी विधियां (संशोधन) विधेयक 2024 से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अधिनियम 1934, बैंकिंग नियमन अधिनियम 1949, भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम 1955, बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम 1970 और बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम 1980 में बदलाव हाेगा।
चर्चा में हिस्सा लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के अरुण सिंह ने कहा कि इस विधेयक से जमाकर्ताओं को सुविधा मिलेगी और बैंकों के कामकाज में पारदर्शिता आयेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र माेदी की पहल से आम जनता को बैंकिंग से जोड़ा गया है। जनधन योजना में 54 करोड़ लोगों का बैंक खाता खोला गया है। विधेयक में नाॅमिनी में चार नाम रखने प्रावधान किया जा सकेगा। विधेयक से बैंक को अधिक स्वायत्ता मिलेगी।
श्री अरुण सिंह ने कहा कि सरकार के प्रयासों से 48 करोड़ लोगों को मुद्रा ऋण मिला है। इससे रोजगार के अवसर बढ़े है और बैंकाें को दायरा बढ़ा है। इसके अलावा 93 लाख लोगों को पीएम स्वनिधि के अंतर्गत ऋण मिला है। कृषि ऋण में भी वृद्धि हुई है। देश में 36 हजार 501 बैंक शाखायें हैं। धन हस्तांतरण की व्यवस्था सरल और 24 घंटे उपलब्ध है। भाजपा सदस्य ने कहा कि सरकार के प्रयासों से गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) एक प्रतिशत से भी कम हो गयी हैं। इससे बैंकों का नुकसान कम हो रहा है।
तृणमूल कांग्रेस के साकेत गोखले ने कहा कि बैंकिंग की पहुंच के आंकड़ों में खेल हो रहा है। बैंकों में जमा राशि घट रही है। वास्तव में ऋण लेने वालों की संख्या में गिरावट हो रही है। महिलाओं को ऋण चुकाने के लिए अपने मंगलसूत्र बेचने पड़ रहे हैं। आम जनता कर और महंगाई से परेशान है। बैंकिंग व्यवस्था में जनता को बार-बार केवाईसी के लिए परेशान किया जाता है। इसकी जरुरत नहीं है। जनता के लिए अनुपालना बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए बैंकिंग सुधार पर निर्भर है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।
द्रमुक के के. आर. एन. राजेश कुमार ने कहा कि बैंकों को ग्राहक सेवाओं में सुधार करना चाहिए। ऋण वितरण की व्यवस्था बाधारहित होनी चाहिए। इससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना में सहकारी बैंकों को भी शामिल करना चाहिए। ग्रामीण बैंकों को मजबूती दी जानी चाहिए। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि आयेगी। वित्त मंत्रालय और सहकारिता मंत्रालय को सहकारी संस्थाओं को मजबूत बनाने के लिए आपस में समन्वय करना चाहिए।
आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने कहा कि देश के बैंक अभी भी 1990 के दशक की व्यवस्था में ही काम कर रहे हैं। उन्होंने डिजिटल कस्टमर सर्विस का ऑडिट कराये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी केवल 50 प्रतिशत लोग ही बैंकिंग व्यवस्था का लाभ उठा पा रहे हैं। बैंकों की शाखाएं बहुत दूर दूर हैं। उन्होंने कहा कि बैंकों में साइबर धोखाधडी की घटनाएं 2 लाख 92 हजार तक पहुंच गयी हैं जिनमें लोगों को करोड़ों रूपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने बैंकों द्वारा न्यूनतम राशि जुर्माना वसूलने को बेहद अनुचित बताते हुए कहा कि इसके तहत लोगों से करोड़ों रूपये वसूले जा रहे हैं। उन्होंने बैंकों के कर्मचारियों द्वारा लोगों को बहला फुसला कर उन्हें गलत उत्पाद बेचने का भी आरोप लगाया।
वाईएसआरसीपी के मेदा रघुनाधा रेड्डी ने देश में बैकों में धोखाधड़ी के मामले बढने पर चिंता जतायी। उन्होंने धोखाधड़ी के पीडितों को सरकारी खजाने से राहत पहुंचाने का अनुरोध किया। उन्होंने किसानों को आसान शर्तों पर कर्ज दिये जाने की बात कही।
बीजू जनता दल के निरंजन बिशी ने बैंकों के निजीकरण का मुद्दा उठाते हुए इसे चिंता का विषय बताया। उन्होंने लोगों को बैंकिंग धोखाधड़ी से बचाने के लिए सख्त कानूनों के साथ साथ जागरूकता अभियान चलाये जाने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि साइबर धोखाधड़ी के कारण लोगों को 27 हजार करोड़ रूपये से अधिक का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि ओड़िशा में चार हजार से अधिक पंचायतों में बैंकों की सुविधा नहीं है।
शिव सेना के मिलिंद मुरली देवरा ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र के सुधारों से बैंकों का मुनाफा कई गुना बढ गया है। उन्होंने कहा कि बैंकों के निदेश्कों का कार्यकाल 8 से बढाकर 10 वर्ष करने का निर्णय स्वागत योग्य है। विधेयक में जमाकर्ता को अपनी जमा राशि के लिए चार नामिनी दर्ज कराने का अधिकार दिया गया है जो अच्छा कदम है। उन्होंने कहा कि बैंकिंग सुधारों के कारण अब भारत बचत के देश के बजाय निवेशकों का देश बन गया है। उन्होंने जमाकर्ताओं का विश्वास बनाये रखने के लिए ठोस उपाय करने को कहा। उन्होंने कहा कि यूपीआई एक सफलता की कहानी है लेकिन इसके दोनों प्लेटफार्म अमेरिकी हैं। सदस्य ने कहा कि ये संशेाधन समय से लाये गये हैं और ये बैंकिंग व्यवस्था को और मजबूत बनायेंगे।
भाजपा के संजय सेठ ने कहा कि विधेयक में बैंकिंग क्षेत्र में सुधार के लिए सात संशोधन किये गये हैं। इन सुधारों के कारण बैंकिंग व्यवस्था मजबूती के साथ पटरी पर दौड़ सकेगी। उन्होंने कहा कि देश के वित्तीय समावेशन के लिए आज देश भर में एक लाख 65 हजार बैंक शाखाएं काम कर रही हैं।
कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा कि विधेयक में लाये गये संशोधन स्पष्ट नहीं है। उन्होंने सहकारी बैंकों के बंद होने का विषय उठाया और कहा कि इससे उपभोक्ताओं को खामियाजा उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के कर्ज माफी के वादे को पूरा नहीं कर पायी है जबकि 16 लाख करोड़ रूपया बट्टे खाते के नाम पर माफ किया गया है उनके नाम बताये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में किसान कर्ज चुकता नहीं कर पाने के चलते आत्महत्या कर रहा है। उन्होंने कहा कि बैंकिंग प्रणाली समाज के वंचित वर्ग के लिए काम नहीं कर रही है। उन्होंने जन धन खातों के बड़ी संख्या में बंद होने का भी मुद्दा उठाते हुए इसे चिंता का विषय बताया।
आईयूएमएल के हरीस बीरन ने कहा कि एक साथ पांच विधेयकों को संशोधित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बैंकों के पास जमा राशि उधारी से कम हो रही है।
वामपंथी पी पी सुनीर ने कहा कि रोजगार के लिए सरकारी बैंकों में रिक्त पदों को भरा जाना चाहिए ताकि सेवायें भी बेहतर बन सके। सरकार को इस दिशा में अभी काम करना चाहिए।
भाजपा की कविता पाटिदार ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली आर्थिक विकास की रीढ्ढ ही हड्डी होती है। मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत विश्व गुरू बनने की ओर अग्रसर है और अभी पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था है तथा शीघ्र ही तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगी। उन्होंने कहा कि संप्रग के कार्यकाल में बैंकिंग प्रणाली पहुंच लचर थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सभी लोगों को बैंकिंग तक पहुंच सुनिश्चित की है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वी शिवादासन ने कहा कि देश में अमीर और अमीर हो रहे हैं तथा उनके लिए बैंक की सुविधायें भी बढ़ रही है। बैंक स्वर्ण ऋण देना शुरू किया है और इस श्रेणी में ऋण लेने वाले अधिकांश लोग किसान हैं। अभी सरकारी बैंक बड़े निजी क्षेत्र के ऋणदाता की तरह काम करने लगे हैं। उन्होंने नौकरी में अनुबंध काे उठाते हुये कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में भी ऐसा होने लगा है। इस तरह के रोजगार में कोई आरक्षण की सुविधा भी नहीं है। सरकारी बैंकों में हजारों पद रिक्त पड़े हैं और सरकार को यथाशीघ्र भर्ती अभियान शुरू करना चाहिए।
शिवसेना (उद्धव बालसाहब ठाकरे) की प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि आम आदमी और विशेष आदमी के ऋण लेने के लिए अलग अलग प्रक्रिया है। एक वर्ग ऋण लेता और देश से बाहर चला जाता है जबकि आम आदमी यदि एक किश्त नहीं चुकाता है तो उसके यहां एजेंट वसूली के लिये पहुंच जाते हैं।
भारतीय जनता पार्टी के महेंन्द्र भट्ट ने कहा कि देश में सहकारी बैंकों की महत्ता अब बहुत बढ़ गयी है। अब इस संशोधन से उनको और अधिक शक्तियां दी जा रही है। अब देश के सहकारी बैंक भी भारतीय रिजर्व बैंक के अधीन है और उसके देखरेख में काम करते हैं।
जनता दल-यूनाइटेड के संजय कुमार झा ने कहा कि पहले लोगों को फोन से ऋण दिया जाता था लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में बैंकों ने 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की है।
चर्चा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ( शरद पवार) की फौजिया खान, भारतीय जनता पार्टी के सिंकदर कुमार, बहुजन समाज पार्टी के रामजी, तेगुलु देशम पार्टी के मस्तान राव यादव दीधा और भारत राष्ट्र समाज (बीआरएस) रविचंद्र वद्दीराजू ने भी भाग लिया।