आस्था से भरी 118 किमी की पंचक्रोशी यात्रा पर दो दिन पहले ही निकले श्रद्धालु

नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुंचकर प्राप्त किया बल, यात्रा मार्ग पर तैनात रही पुलिस

उज्जैन: वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि 3 मई से शुरू होने वाली आस्था से भरी 118 किलोमीटर पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत श्रद्धालुओं ने दो दिन पहले बुधवार सेे शुरू कर दी है। सुबह से ही श्रद्धालु पटनी बाजार स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर के मंदिर बल प्राप्त करने के लिए पहुंचने लगे थे।प्रतिवर्ष आस्था से भरी पंचक्रोशी यात्रा को लेकर प्रशासन एक सप्ताह पहले सही अपनी तैयारियां शुरू कर देता है और प्रतिवर्ष की तरह श्रद्धालु पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत दो दिन पहले ही कर देते हैं। 118 किलोमीटर की यात्रा शुरू करने से पहले श्रद्धालु पटनी बाजार नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुंचकर बल प्राप्त करते हैं जिसका सिलसिला बुधवार से ही श्रद्धालुओं ने शुरु कर दिया है। रात में श्रद्धालुओं का एक जत्था उज्जैन पहुंच गया था। प्रशासन को पहले से अंदेशा था कि श्रद्धालु दो दिन पहले यात्रा की शुरूआत कर सकते हंै।

जिसके चलते सभी व्यवस्थाओं को पूरा कर लिया गया था। नागचंद्रेश्वर मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं को धूप से बचाने के लिये टेंट, कनात के साथ कारपेट बिछाया गया है। वहीं पेयजल की व्यवस्था के लिए मंदिर के आसपास से लेकर यात्रा के पहले पड़ाव तक पीएचई के टेंकर खड़े कर दिए गए हैं। श्रद्धालुओं ने मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना की और बल प्राप्त कर पहले पड़ाव की ओर अपने कदम बढ़ा दिये। यात्रा मार्ग पर पांच पड़ावों के साथ दो उपपड़ाव हैं। 30 से 40 श्रद्धालु देर शाम पहले पड़ाव तक पहुंच गये थे। पंचक्रोशी यात्रा 118 किलोमीटर की होती है। प्रतिवर्ष तपती गर्मी में 35 से 40 डिग्री तापमान के बीच हजारों श्रद्धालु जिसमें बच्चे, बुजुर्ग, महिला, युवा पैदल सिर पर भोजन बनाने की सामग्री लेकर पैदल चलते हैं।

मान्यता है कि यात्रा करने से कई प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है वहीं कई धार्मिक स्थलों का पुण्य भी प्राप्त होता है। नागचंद्रेश्वर से शुरू होने वाली यात्रा 12 किलोमीटर बाद पिंगलेश्वर पड़ाव पहुंचती है। यहां से 23 किलोमीटर दूर दूसरा पड़ाव वहीं तीसरा उपपड़ाव 21 किलोमीटर दूरी का होता है। चौथे पड़ाव की दूरी 6 किलोमीटर, पांचवे की 21 किलोमीटर, छठा पड़ाव 7 किलोमीटर दूर, सातवां पड़ाव 16 किलोमीटर दूरी का होता है जहां से 12 किलोमीटर पैदल चल श्रद्धालु शिप्रा नदी पहुंचकर अपनी पांच दिवसीय यात्रा का समापन करते हैं।
नागचंदेश्वर से लेते हैं श्रद्धालु बल
इसके बाद नागचंद्रेश्वर मंदिर लौटकर यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं द्वारा यात्रा से पहले प्राप्त किया गया बल वापस भगवान नागचंद्रेश्वर को लौटाया जाता है। उसके बाद अष्टतीर्थ यात्रा की शुुरुआत होती है। श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए जहां प्रशासनिक विभाग द्वारा सभी व्यवस्थाओं को पु ता किया गया है वहीं सामाजिक संस्थाओं द्वारा भी श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्थाएं जुटाई गई हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा पड़ाव स्थलों पर अस्थायी अस्पताल भी तैयार किए गए हैं वहीं एम्बुलेंस भी तैनात रहेगी।

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