जयपुर, (वार्ता) संगमरमर के एक ही पत्थर से तराशी गई देवी काली की 18.5 फुट ऊंची मूर्ति को सोमवार राजधानी जयपुर से केरल के पूर्णमिकवु मंदिर के लिए रवाना किया गया।
मंदिर के मुख्य क्यूरेटर, एम एस भुवनचंद्रन के अनुसार संगमरमर के एक ही पत्थर से तराशी गई देवी काली की यह मूर्ति दुनियां की सबसे बड़ी देवी काली की मूर्ति हैं जो 18.5 फुट ऊंची हैं। इसकी आधार सहित ऊंचाई 23 फुट है। इसे सोमवार को जयपुर में पूजा करने के बाद केरल के लिए रवाना किया गया जिसे केरल के तिरुवनंतपुरम के वेंगानूर के चावड़ी नाडा में पूर्णमिकवु मंदिर में स्थापित किया जायेगा।
श्री भुवनचंद्रन ने कहा कि मंदिर में देवी काली की मूर्ति और देवी दुर्गा और लक्ष्मी की स्थापना समारोह राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के समान होगा। इस मूर्ति को जयपुर के मूर्तिकार मुकेश भारद्वाज ने तराशा हैं। राजस्थान के भैंसलाना से 30 गुणा 20 फुट एवं 45-50 टन वजनी संगमरमर पत्थर को तराश कर यह देवी काली की मूर्ति बनाई गई हैं। यह देवी काली की मूर्ति देवी बाला त्रिपुरा सुंदरी देवी को समर्पित मंदिर की भक्तों के बीच सदियों पुरानी श्रद्धा को और बढ़ाएंगी।
इस देवी काली की मूर्ति के साथ इसके संबंधित वाहन शेर, बाघ, मोर, हंस की मूर्तियाँ भी भेजी गई हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी पंचमुखी गणेश मूर्ति और 51 अक्षर देवताओं के आवास के लिए प्रसिद्ध, पूर्णमिकवु मंदिर भारत में एकमात्र तीर्थस्थल है जो अक्षरों का प्रतिनिधित्व करने वाली देवियों को समर्पित है। प्रत्येक अक्षर अपनी-अपनी देवी से जुड़ा हुआ है, जो भक्तों को शैक्षिक और करियर में उन्नति के लिए आशीर्वाद लेने का अवसर प्रदान करता है।
उल्लेखनीय है कि हाल में मंदिर में 17 फुट की शनि भगवान की मूर्ति स्थापित की गई थी जो भारत में अपनी तरह की दूसरी मूर्ति बताई जा रही है।
इस अवसर अवसर पर गुजरात के द्वारका, महाराज मुरली मंदिर के जगद्गुरु सूर्याचार्य कृष्णदेवानंद गिरि ने कहा कि राजस्थान के संगमरमर को सदियों पुराने तीर्थस्थलों में जगह मिली है.. चाहे वह अयोध्या, उज्जैन, महेश्वर, धार, हरिद्वार, वाराणसी आदि।