शिक्षकों की भर्ती अलग-अलग चरणों में क्यों?

हाईकोर्ट ने राज्य शासन से मांगा जवाब
जबलपुर: माध्यमिक स्कूल शिक्षकों की भर्ती अलग-अलग चरणों में किये जाने को लेकर हाईकोर्ट ने जवाब तलब किया है। जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने इस संबंध में राज्य शासन को जवाब पेश करने के निर्देश दिये है।जबलपुर निवासी आरती सिंह राठौर, रागिनी वर्मा, सहित सैकड़ों शिक्षकों की ओर से हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई है। आवेदकों की ओर से कहा गया कि अलग-अलग चरणों में भर्ती प्रक्रिया के कारण कम मेरिट वालों को स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति मिल गई, जबकि अधिक मेरिट वालों को ट्रायबल वेलफेयर विभाग के स्कूलों में नियुक्ति मिली।

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि नियुक्ति के संबंध में दो परिपत्र जारी किये गये, जिनकी वैधानिकता को कटघरे में रखा गया है। जिसमें पहले 30 मार्च 2022 को एक परिपत्र जारी कर कहा गया कि चयनित शिक्षक त्यागपत्र देकर और एक माह का वेतन जमा कराकर विभाग बदल सकते हैं। इस प्रक्रिया के तहत करीब 9 सौ शिक्षकों को लाभ मिला।

वहीं करीब 9 माह बाद 11 जनवरी 2023 को एक और परिपत्र जारी कर कहा गया कि अब अभ्यर्थियों को शाला विकल्प के चयन का अवसर नहीं दिया जाएगा। याचिकाओं में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा अपनाई गई असंवैधानिक प्रक्रिया को चुनौती दी है। इतना ही नहीं न्यायालय को बताया गया कि याचिकाकर्ताओं को पहले ट्रायबल वेलफेयर विभाग में नियुक्ति दी गई। पहले परिपत्र के आधार पर स्कूल शिक्षा विभाग ने चयन सूची जारी की, लेकिन बाद में यह कहते हुए नियुक्ति नहीं दी गई याचिकाकर्ता पहले से ट्रायबल वेलफेयर विभाग में पदस्थ हैं, इसलिए अब उन्हें शाला विकल्प का अवसर नहीं दिया जा सकता। सुनवाई पश्चात न्यायालय ने इस संबंध में शासन को जवाब पेश करने के निर्देश दिये है।

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