जबलपुर: मदन महल रेलवे स्टेशन पर ऑटो, टैक्सी ड्राइवरो का एक छत्र राज चल रहा है। देश के पहले पिंक रेलवे स्टेशन में महिला कर्मचारियों के नाम पर कोई भी महिला कार्य करते दिखाई नहीं देती है। प्लेटफार्म क्र. 4 के मुख्य द्वार पर ना तो कोई सुरक्षा अधिकारियों की मौजूदगी रहती है और ना ही सुरक्षा से जुड़े उपकरण यहां लगाए गए हैं। यात्रियों द्वारा लाए गए सामानों की स्कैनिंग भी नहीं की जाती है। यहां लापरवाही इस कदर हावी है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ऑटो एवं टैक्सी ड्राइवर अपने वाहनों को बाहर अघोषित पार्किंग में खड़े कर सीधे प्लेटफार्म क्र. एक और चार में दाखिल हो रहे हैं। यही नहीं इसका फायदा असामाजिक तत्व भी उठा रहे है। जिसके चलते स्टेशन परिसर की सुरक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में आ चुकी है।
नहीं दिखती महिला अधिकारी
मदन महल स्टेशन ज्यादातर समय सुनसान ही पड़ा रहता है। इसकी आड़ में ऑटो और टैक्सी चालक स्टेशन पर कब्जा जमा लेते हैं। प्लेटफार्म के मुख्य द्वार पर सुरक्षा जांच के लिए कोई भी जिम्मेदार मौजूद नहीं रहता है। देश के पहले पिंक रेलवे स्टेशन पर कोई भी महिला अधिकारी दिखाई नहीं देती है। प्लेटफॉर्म में ना तो आरपीएफ मौजूद रहती है और ना ही प्लेटफार्म टिकट जांचने वाले टीटीई। हाल यह है कि यहां पर दिनभर शराबियों और असामाजिक तत्वों का डेरा डाला रहता है।
बी श्रेणी का रेलवे स्टेशन
मालूम हो कि मदन महल रेलवे स्टेशन बी श्रेणी का रेलवे स्टेशन है, लेकिन जैसे ही स्टेशन की व्यवस्थाओं का जायजा लिया जाता है तो यह किसी भी तरह से अपनी श्रेणी पर खरा नहीं उतर रहा है। वही प्लेटफार्म में समान स्कैनिंग जैसे अन्य जरूरी उपकरण ना होने के चलते कभी भी कोई बड़ी घटना हो सकतीं है।
इनका कहना है
कल ही संबंधित अधिकारियों से सुरक्षा के बारे में पूछा जाएगा। रही बात असामाजिक तत्वों की तो इन पर आरपीएफ एक्शन लेगी।
हर्षित श्रीवास्तव, सीपीआरओ, पमरे