रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों पर पांच हजार की कॉस्ट

कई अवसरों के बावजूद भी जवाब पेश न करने पर कोर्ट सख्त
जबलपुर: मप्र हाईकोर्ट ने कई अवसरों के बावजूद भी जवाब पेश न किये जाने को जमकर आड़े हाथों लिया। जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने मामले में रक्षा मंत्रालय के सचिव और डायरेक्टर जनरल ऑफ क्वालिटी एश्योरेंस (डीजीक्यू) रक्षा मंत्रालय पर पांच हजार रुपए की कॉस्ट लगाई। एकलपीठ ने उक्त राशि मप्र हाईकोर्ट लीगल सर्विस कमेटी में जमा करने की शर्त पर जवाब पेश करने चार सप्ताह की मोहलत दी।जबलपुर निवासी जेएस मक्कर की ओर से यह मामला दायर किया गया। जिसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता मप्र विद्युत मंडल से एसई के पद से सेवानिवृत्त हुए थे।

याचिकाकर्ता पूर्व में 1972 से 1979 तक गन कैरिज फैक्टरी में ग्रेज्युट ट्रेनी (इंजीनियर) में रूप में कार्यरत था। आवेदक की ओर से कहा गया कि जब याचिकाकर्ता विद्युत मंडल से सेवानिवृत्त हुआ तो जीसीएफ में की गई सेवाओं को पेंशन, ग्रेच्युटी आदि में नहीं जोड़ा गया। यह याचिका 2018 में दायर की गई थी। इसमें विद्युत मंडल के अलावा रक्षा मंत्रालय के उक्त अधिकारियों को भी पक्षकार बनाया गया था। पिछले सप्ताह सुनवाई के दौरान अधिकारियों की ओर से पुन: जवाब के लिए मोहलत मांगी गई, जिस पर आवेदक की ओर से आपत्ति पेश की गई। मामले में आगे हुई सुनवाई पर न्यायालय ने उक्त निर्देश दिये।

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