नयी दिल्ली 19 जनवरी (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की महान विभूति नेताजी सुभाष चंद्र बोस को दूरदृष्टा और प्रराक्रमी बताते हुये आज कहा कि सुभाष बाबू एक कुशल प्रशासक भी थे और उनके जीवन से युवाओं को निरतंर प्रेरणा लेनी चाहिए।
श्री मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा ‘मेरे प्यारे देशवासियों, पल-भर के लिए आप एक दृष्य की कल्पना कीजिए- कोलकाता में जनवरी का समय है। दूसरा विश्व युद्ध अपने चरम पर है और इधर भारत में अंग्रेजों के खिलाफ गुस्सा उफान पर है। इसकी वजह से शहर में चप्पे-चप्पे पर पुलिसवालों की तैनाती है। कोलकाता के बीचों–बीच एक घर के आस-पास पुलिस की मौजूदगी ज्यादा चौकस है। इसी बीच लंबा ब्राउन कोट , पेंट और काली टोपी पहने हुए एक व्यक्ति रात के अंधेरे में एक बंगले से कार लेकर बाहर निकलता है। मजबूत सुरक्षा वाली कई चौकियों को पार करते हुए वह एक रेलवे स्टेशन गोमो पहुँच जाता है। ये स्टेशन अब झारखंड में है। यहां से एक ट्रेन पकड़कर वह आगे के लिए निकलता है। इसके बाद अफगानिस्तान होते हुए वह यूरोप जा पहुंचता है और यह सब अंग्रेजी हुकूमत के अभेद किलेबंदी के बावजूद होता है।’
उन्होंने कहा कि ये कहानी आपको फिल्मी सीन जैसी लगती होगी। आपको लग रहा होगा इतनी हिम्मत दिखाने वाला व्यक्ति आखिर किस मिट्टी का बना होगा। दरअसल ये व्यक्ति कोई और नहीं, हमारे देश की महान विभूति नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे। 23 जनवरी यानि उनकी जन्म-जयंती को अब हम ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाते हैं। उनके शौर्य से जुड़ी इस गाथा में भी उनके पराक्रम की झलक मिलती है।
श्री मोदी ने कहा ‘कुछ साल पहले मैं उनके उसी घर में गया था जहां से वे अंग्रेजों को चकमा देकर निकले थे। उनकी वह कार अब भी वहां मौजूद है। वो अनुभव मेरे लिए बहुत ही विशेष रहा। सुभाष बाबू एक दूरदृष्टा थे। साहस तो उनके स्वभाव में रचा-बसा था। इतना ही नहीं वे बहुत कुशल प्रशासक भी थे। महज 27 साल की उम्र में वह कोलकाता कार्पोरेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बने और उसके बाद उन्होंने मेयर की जिम्मेदारी भी संभाली। एक प्रशासक के रूप में भी उन्होंने कई बड़े काम किए। बच्चों के लिए स्कूल, गरीब बच्चों के लिए दूध का इंतजाम और स्वच्छता से जुड़े उनके प्रयासों को आज भी याद किया जाता है।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि नेताजी सुभाष का रेडियो के साथ भी गहरा नाता रहा है। उन्होंने ‘आजाद हिन्द रेडियो’ की स्थापना की थी जिस पर उन्हें सुनने के लिए लोग बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा करते थे। उनके संबोधनों से विदेशी शासन के खिलाफ लड़ाई को एक नई ताकत मिलती थी। ‘आजाद हिन्द रेडियो’ पर अंग्रेजी, हिन्दी, तमिल, बांग्ला, मराठी, पंजाबी, पश्तो और उर्दू में समाचार बुलेटिन का प्रसारण होता था। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को नमन करते हुये कहा कि देश-भर के युवाओं से आग्रह है कि वे उनके बारे में अधिक से अधिक पढ़ें और उनके जीवन से निरंतर प्रेरणा लें।