स्टार्टअप इंडिया मिशन से बदलाव

गुरुवार को नेशनल स्टार्टअप डे था. स्वाभाविक रूप से इस दिन आर्थिक जगत में स्टार्टअप इंडिया मिशन को लेकर समीक्षाएं और विश्लेषण हुए. स्टार्टअप इंडिया मिशन से बदलाव तो देखा जा रहा है लेकिन गति धीमी है. दरअसल,इस मिशन को सरकारी लालफीता शाही से मुक्त करना पड़ेगा. इसके अलावा बैंक और वित्तीय संस्थानों को स्टार्टअप्स के लिए कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराना पड़ेगा. इसके साथ ही स्टार्टअप्स प्रारंभ करने वाले युवाओं को प्रशिक्षण और उनके मार्गदर्शन की व्यवस्थाएं भी होना चाहिए.दरअसल,भारत में 2014 के बाद से स्टार्टअप की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की स्किल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया मुहिम ने इसके लिए देश के उद्यमशील युवाओं को प्रेरित किया है. आंकड़ों की मानें तो इन सालों में देश में स्टार्टअप की संख्या 300 से बढक़र 1 लाख से ज्यादा हो गई है. वहीं, इन स्टार्टअप को शुरू करने वालों में महिलाओं की संख्या भी काफी ज्यादा है.दरअसल, भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम अब दुनिया भर के देशों में तीसरे स्थान पर आ गया है. इसके साथ ही देश में 111 से ज्यादा यूनिकॉर्न की संख्या हो गई है. इसमें से लगभग 47 प्रतिशत से ज्यादा स्टार्टअप व्यवसायों में महिलाएं निदेशक या सीईओ हैं. दुनिया भर के 5 शीर्ष यूनिकॉर्न वाले देशों की सूची में संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, भारत, यूके और जर्मनी शामिल हैं यानी यूनिकॉर्न वाले देशों में भारत के बाद चौथे स्थान पर यूके और पांचवें स्थान पर जर्मनी है.दरअसल, जिस भी स्टार्टअप की वैल्यू 1 अरब डॉलर से ज्यादा हो जाती है, उसे यूनिकॉर्न स्टार्टअप कहा जाता है. अब ऐसे में जब भारत दुनिया भर में स्टार्टअप और यूनिकॉर्न स्टार्टअप दोनों में तीसरे पायदान पर है तो इससे रोजगार के अवसर पैदा होने के साथ ही निवेश की संभावना में भी तेजी आई है. ऐसे में भारत में जिस तरह से तेज गति से यूनिकॉर्न स्टार्टअप बन रहा है और 2025 तक इसके 150 तक हो जाने की संभावना है. उससे साफ लग रहा है कि भारत यूनिकॉर्न स्टार्टअप के मामले में इस तेजी से विकास करता रहा तो वह ग्लोबल लीडर बन जाएगा. हालांकि, इस मिशन में अभी कई प्रकार की समस्याएं हैं जिन्हें दूर करने की जरूरत है. स्टार्टअप इंडिया मिशन के तहत 2024 में करीब 28,000 इकाइयों ने पंजीकरण कराया और आंकड़ों से संकेत मिलता है कि इस साल और भी अधिक इकाइयों का पंजीकरण होगा. देश में लगभग हर आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) और आईआईएम (भारतीय प्रबंध संस्थान) तथा ऐसे ही अन्य शैक्षणिक संस्थानों ने भी अपने-अपने स्टार्टअप केंद्र स्थापित किए हैं.विश्लेषण कहता है कि 20 प्रतिशत स्टार्टअप एक साल बाद ही नाकाम हो जाते हैं.दरअसल, स्टार्टअप की नाकामी की सबसे अहम वजह है उसके बनाए उत्पाद या सेवा का बाजार को लुभाने में असफल रहना यानी उत्पाद बाजार के माफिक नहीं बन पाता.दूसरी सबसे बड़ी वजह है स्टार्टअप को शुरुआत में मिली पूंजी बहुत जल्दी इस्तेमाल हो जाना.तीसरी सबसे महत्वपूर्ण वजह है सही लोगों को नौकरी पर नहीं रख पाना है.

नाकामी की एक और वजह कोई ऐसी घटना होती है, जिस पर किसी का वश नहीं होता,मगर जिसका कारोबार या कामकाज पर बहुत असर पड़ता है.उदारहण के लिए रुपये में अचानक गिरावट आ जाना या जरूरी वस्तु के आयात पर अचानक बहुत अधिक शुल्क लग जाना ! अगर स्टार्टअप के प्रमोटर्स ऐसे बदलावों को पहले से नहीं भांप पाते हैं तो उनके सामने गंभीर संकट आ सकता है. कुल मिलाकर स्टार्टअप इंडिया मिशन में कुछ खामियां जरूर हैं, लेकिन इसकी दिशा सही है. स्टार्टअप इंडिया मिशन ने युवाओं की सोच में बदलाव तो लाया है इसके अलावा उनके पास स्वरोजगार के अवसर भी बढ़े हैं. जाहिर है स्टार्टअप इंडिया मिशन उम्मीद जगाने वाला है.

 

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