स्वामीजी को क्रांतिकारी संत का स्थान दिया गया उनका उद्देष्य भारत की गौरवता को स्थान दिलाना था -श्रीकांतजीद्विवेदी

धार. स्वामी विवेकानंद जयंती पर पीएम एक्सीलेंस कॉलेज धार में व्याख्यानमाला आयोजित हुई। कार्यक्रम में डॉ. संजय निगम, एमबीबीएस,एमएस एवं रामकृष्ण मिशन इन्दौर के सदस्य, श्री आनंद रणदीवे, विभागाध्यक्ष गणित, पीएम एक्सीलेंस कॉलेज धार एवं हार्टफुलनेस सेंटर कार्डीनेटर एवं श्रीमती रजनी यादव, विकासखण्ड समन्वयक तिरला एवं प्रभार धार मंचासीन रही ।

प्रारंभ में अतिथियों के द्वारा मॉ भारती एवं स्वामी विवेकानंदजी का पूजन, माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर व्याख्यानमाला का आयोजन प्रारंभ किया गया । आये अतिथि श्री संजय निगम का स्वागत श्री बनेसिंह पटेल सताक्षी जन कल्याण समिति, श्रीकांत द्विवेदी का स्वागत मेंटर तिरला श्री सचिन प्रजापत, श्री आनंद रणदिवे का स्वागत श्री कैलाष रावत मेंटर धार, श्रीमती रजनी यादव का स्वागत श्रीमती ज्योति शर्मा मेंटर धार के द्वारा किया गया। प्रथम श्रीमती रजनी यादव द्वारा स्वागत भाषण में में अतिथि परिचय एवं आज के कार्यक्रम के बारे में बताया गया ।

प्रथम वक्ता श्री डॉ संजय निगम के द्वारा अपने उद्बोधन में स्वामी विवेकानंद जी के जीवन परिचय पर उनका चरित्र चित्रण प्रस्तुत किया गया । स्वामी के कहे अनुसार हम सब में अबोध शक्ति विद्यमान है हम में ही ईष्वर व्याप्त है । उनके गुरू रामकृष्ण जी की सेवा के बारे में बताया गया । हमारी भारतीय परम्पराए धर्म एवं वैभव को बनाये रखना है। अन्य प्रसंगो अमेरिका भाषणए मूर्ति पूजा एवं राजस्थान के अवलर राजा के बारे में जानकारी दी गई । स्वामी जी की पुस्तको के बारे में बताया गया कि एक महान संत के किये गये कार्यो को हमें अनुसरण करने की आवश्यकता है । हमें भारत देश को अक्षुण्य बनाये रखने की आवश्यकता है । ये सब आज के युवा को करने की जरूरत है ।

द्वितिय वक्ता के रूप में आये श्रीकांत द्विवेदी के द्वारा अपने उदबोधन में कहा गया कि गुरू को एक अच्छे शिष्य् की आवश्यकता होती है । उनके द्वारा एक गुरू का चयन किया गया जिसके द्वारा उन्हे आध्यात्म के प्रति विश्वास जीवन का मूल उद्देष्य बना था । विश्व मानवता इतिहास के बारे में जानना मनुष्य का ध्येय होना चाहिए । हमे विश्व मानवता का कल्याण करना है आज भारतमाता तुम जैसे युवाओं का इंतजार कर रही है । महान संत स्वामी का उद़देश्य भारत की गौरवता को विश्व में बढाना था । विश्वि शांति की स्थापना करना उनका उददेश्य था । उनका जीवन मात्र एक धर्म था । विवेकानंदजी इस धरती से गये जहॉ पर युद्ध नही बुद्ध दिया गया । इनके द्वारा विवेकानंद जी के विचारो को आत्मसात करने को कहा गया ।

 

तृतीय वक्ता के रूप में श्री आनंद रणदिवे के द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि स्वामी का जीवन चित्रण हमारे लिये काफी प्रेरणादायक है । ऐसे समाज को मार्गदर्शन देने वाले संत का आज हम जयंती मना रहे है । आज समाज में व्यक्ति पैसे से धनवान है परन्तु दिल से गरीब हो गया है । क्योकि व्यक्ति पैसे देने को तैयार है किन्तु उसके पास समय नही है । स्वामी का हृदय हमारे भारत वासियों के लिए भरा हुआ था । ऐसे विचार थे स्वामी जी के मुझे कितना भी कष्ट मिले किन्तु मैं भारत के कल्याण के लिए पीछे नहीं हटूगा स्वामीजी युग प्रर्वतक कहे जाते है । किन्तु स्वामीजी ने जो कुछ कर दिखाया आज भी समाज में कुछ लोग मौजूद है । आप सभी को देश के लिए स्वामी जी के कार्यो से सीखकर कुछ करने का आज संकल्प लेना होगा तभी यह युवा दिवस सार्थक होगा ।

कार्यक्रम के अंत में आभार श्री धर्मेन्द्र कुमार शर्मा, डाटा एन्ट्री ऑपरेटर,मध्यरप्रदेश जन अभियान परिषद द्वारा माना गया । कार्यक्रम का संचालन श्री धर्मेन्द्र राठौर, मेंटर्स तिरला के द्वारा किया गया । कार्यक्रम में धार एवं तिरला विकासखण्ड के सीएमसीएलडीपी के छात्र, छात्राओं, मेंटर्स, नवांकुर संस्थाओं एवं स्वैच्छिक संगठन के प्रतिनिधि सहित कुल 110 व्यक्ति उपस्थित रहे ।

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