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खंडवा। खंडवा का पावरहब रोजाना कुल 3610 मेगावाट बिजली रोज उगल रहा है। सबसे ज्यादा सिंगाजी थर्मल रोजाना 2520 मेगावाट बिजली बना रहा है। ओंकारेश्वर का तैरता सोलर प्लांट भी 260 मेगावाट बिजली उत्पादन तक पहुंच गया है।
नर्मदानगर हाइडल यानि पनबिजली में सौ-सौ मेगावाट की दस यूनिटें बिजली उगलने को तैयार हैं। फिलहाल 4 यूनिटों से 400 मेगावाट बिजली तैयार की जा रही है। इसी तरह ओंकारेश्वर पनबिजली के लिए तीस-तीस मेगावाट वाली छह यूनिटें हैं। ये भी 180 मेगावाट पनबिजली बना रही है। इसके अलावा सौर्य ऊर्र्र्जा से तोरनी व अन्य छोटे प्लांट्स से भी 250 मेगावाट के लगभग बिजली उत्पादन की खबरें हैं।
पीथमपुर जा रही बिजली
जिले में सबसे ज्यादा बिजली सिंगाजी थर्मल बना रहा है। यह थोड़ी महंगी जरूर है, लेकिन प्लांट अरबों के फायदे में है। आठ साल में ही लागत का बड़ा हिस्सा कमा चुका है। इस समय सर्दी के मौसम की वजह से प्लांट में बिजली फुल लोड पर तैयार की जा रही है। यहां से बिजली के आर्डर पीथमपुर के लिए सबसे ज्यादा हैं। पीथमपुर का औद्योगिक क्षेत्र सिंगाजी थर्मल से ही अधिकतर चल रहा है। इसके अलावा फीडर को इंदौर, बड़वाह, जुलवानिया, छैगांवमाखन के लिए भी कनेक्ट किया जा रहा है।
डब्लूसीएल से
आ रहा कोयला
वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड से कोयला ज्यादा आ रहा है। कभी कभी एनसीए व साउथ इस्र्टन, सिंगरोली से भी कोयला अच्छा आ रहा है। बीच में कोयले की घटिया किस्म की खबरें उड़ी थीं। इसके बाद कोयले की परख जबलपुर ने और सख्त कर दी है।
नर्मदा सबसे खुश यहां
नर्मदा देश की पांच बड़ी नदियों में एक है। इसकी लंबाई 1312 किमी है। शहडोल के अमरकंटक से निकली है। मध्यप्रदेश,गुजरात और महाराष्टï्र होते हुए खंबात की खाड़ी में अरब सागर में जाती है। पानी के बंटवारे में 28 मिलीयन एकड़ फिट पानी में से 18.25 मिलीयन एकड़ फिट पानी मध्यप्रदेश के हिस्से में आया हैै।
3188 नदियां मिल रहीं
नर्मदा पर नर्मदाजल प्राधिकरण की अनुशंसा पर 29 बड़ी,158 मध्यम और 3000 लघु परियोजनाएं प्रस्तावित हैं। इनसे 3 हजार मेगावॉट बिजली बनेगी। कुल 27.55 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई होगी। 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। भारत का सबसे बड़ा जलाशय इंदिरासागर इसी नदी पर है।यहां जल भंडारण क्षमता 12.22 बिलीयन क्यूबिक मीटर है। ओंकारेश्वर परियोजना 520,महेश्वर परियोजना 400 मेगावॉट,सरदार सरोवर 1450 मेगावॉट है।
ऐसे बना सिंगाजी में थर्मल कारखाना
खंडवा में कोयले का उत्पादन नहीं है, लेकिन पानी भरपूर है। इसीलिए सिंगाजी को थर्मल स्टेशन बनाने के लिए चयनित किया गया था। कोयले का स्टाक फिलहाल 25 दिन के लिए फुल है। इसके बावजूद कोयला आ रहा है। कम कोयले में ज्यादा उत्पादन हो, इसके लिए धुला हुआ कोयला उपयोग में लाया जा रहा है।
पीएम की निगाहें इस प्रोजेक्ट पर
ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर परियोजना मध्य प्रदेश की प्रथम, देश की सबसे बड़ी तथा विश्व की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सोलर परियोजनाओं में से एक है। ओंकारेश्वर में स्थित फ्लोटिंग सोलर प्लांट से अभी 278 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। इस प्रोजेक्ट से दिल्ली मेट्रो को भी बिजली देने का कार्य किया जा रहा है।
खंडवा जिले में तीन तरह से बन रही बिजली
खंडवा जिला इसलिए भी नाम कमा रहा है,क्योंकि यहां कोयले से (थर्मल), पानी से (हाईडल), सौर्य ऊर्जा से बिजली बन रही है। सौर्य ऊर्जा में बिजली उ्त्पादन के मामले में तो प्रधानमंत्री तक का हस्तक्षेप है। कारण, सौर्य ऊर्जा के लिए जमीन की जरूरत ज्यादा होती है। खंडवा के ओंकारेश्वर में बांध के पानी पर तैरता हुआ सोलर प्लांट वैज्ञानिकों ने बना दिया। इससे भी 260 मेगावाट बिजली बन रही है। जल्द प्लेट्स बढ़ाकर 600 मेगावाट बिजली सालभर में ही बनने लगेगी।
ऐसा है इंदिरा सागर
इंदिरासागर बांध की लंबाई 653 मीटर तथा ऊंचाई 92 मीटर है। बांध में कुल 14 लाख घनमीटर की कंक्रीटिंग की गई है। बांध में 20 मीटर चौड़ाई के 12 मुख्य स्पिल-वे ब्लॉक और 8 वैकल्पिक स्पिल-वे ब्लाक हैं। जल नियंत्रण के लिए 20 मीटर चौड़े एवं 17 मीटर ऊंचे आकार के 20 रेडियल गेट लगाए गए हैं। विद्युत गृह नदी के दाएं किनारे पर स्थित है, जिस में मशीन हाल 202 मीटर लंबा तथा 23 मीटर चौड़ा, सर्विस बे 42 मीटर लंबा तथा 23 मीटर चौड़ा, 24 मीटर ऊंचा है। विद्युत गृह में 125 मेगावॉट के 8 फ्रांसिस टरबाईन स्थापित किए गए हैं। कुल जल बहाव क्षमता 22 सौ घन मीटर प्रति सेकेंड है।
ओंकारेश्वर बांध को जानें
इस परियोजना की संस्थापित विद्युत क्षमता 520 मेगावॉट है। इससे 1167 मिलियन यूनिट का वार्षिक विद्युत उत्पादन होगा। बांधस्थल पर जलग्रहण क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल 64 हजार 880 वर्ग किलोमीटर है, इसमें से 3238 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल इंदिरासागर पॉवर स्टेशन के नीचे है। इस परियोजना के तहत 949 मीटर लंबे कंक्रीट ग्रेविल बांध का निर्माण किया गया है। इसकी आधार तल से अधिकतम ऊंचाई 53 मीटर है। 88 हजार 315 घनमीटर प्रति सेकंड के अभिकल्पित प्रवाह के लिए 570 मीटर लंबा ओगी-टाइप स्पिलवे का निर्माण किया गया है।
65 प्रतिशत कारखानों को बिजली
खंडवा जिले में उत्पादित होने वाली बिजली नापने का जमीनी तरीका बताएं तो प्रदेश के कुल कारखानों की आधी से ज्यादा बिजली खंडवा जिले में बन रही है। 65 प्रतिशत मध्यप्रदेश खंडवा की बिजली से रौशन हो सकता है। पन बिजली यानि हाइडल परियोजनाओं का 49 प्रतिशत हिस्सा केेंद्र सरकार को देना होता है। इसलिए कांग्रेस शासित दिल्ली एवं अन्य प्रदेश हिमाचल, पंजाब, हरियाणा में बिजली भेज दी जाती है।