ओटावा, 06 जनवरी (वार्ता) कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सोमवार को लिबरल पार्टी के नेता के रूप में अपने इस्तीफे की घोषणा कर सकते हैं, क्योंकि उन्हें उनकी पार्टी पियरे पोलीवरे की कंजर्वेटिव पार्टी की ओर से बाहर कर दिये जाने का डर है।
दरअसल, कॉकस में विद्रोह और निराशाजनक जनमत सर्वेक्षणों से यह संकेत मिला है।
ग्लोब एंड मेल की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों का अनुमान है कि प्रधानमंत्री ट्रूडो बुधवार को एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कॉकस मीटिंग से पहले अपने पद से हटने की घोषणा कर सकते हैं। हाल ही में, प्रधानमंत्री से बात करने वाले एक सूत्र ने कहा कि श्री ट्रूडो को एहसास है कि लिबरल कॉकस से मिलने से पहले, उन्हें पार्टी को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान देने की ज़रूरत है ताकि ऐसा न लगे कि उन्हें अपने ही सांसदों ने बाहर कर दिया है।
फिलहाल, अभी इसकी पुष्टि नहीं है कि वे नये नेता के आने तक इस पद पर बने रहेंगे या पहले ही इस्तीफा दे देंगे।
लिबरल पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी, जो नेतृत्व के मुद्दों पर निर्णय लेती है, इस सप्ताह बैठक करने की योजना बना रही है। शायद, यह बैठक कॉकस सत्र के बाद हो सकती है।
रिपोर्टों के अनुसार, 16 दिसंबर को वित्त मंत्री एवं उप प्रधानमंत्री के रूप में क्रिस्टिया फ्रीलैंड के इस्तीफे के बाद से, श्री ट्रूडो शांत हैं, जिसके कारण लिबरल सांसदों ने उनके इस्तीफे की मांग की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने उस दिन पद छोड़ दिया जिस दिन उन्हें अपना आर्थिक और राजकोषीय अपडेट देना था, उन्होंने जीएसटी अवकाश और 250 डॉलर की छूट जैसे खर्च के हथकंडों पर चिंता जताई तथा संभावित ट्रम्प टैरिफ से निपटने में गंभीरता की कमी का हवाला दिया।
प्रधानमंत्री ने बाद में सांसदों से कहा कि वह अपने भविष्य पर विचार करेंगे, और उनके करीबी लोगों ने छुट्टियों के अवकाश से ठीक पहले यह स्पष्ट कर दिया कि वह उस समय अवधि के दौरान कोई निर्णय नहीं लेंगे।
सूत्रों ने कहा कि पिछले कुछ सप्ताहों में क्षेत्रीय कॉकस बैठकें, सांसदों और प्रधानमंत्री की टीम के बीच व्यक्तिगत कॉल की रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनके पास अब टीम नहीं है। सूत्रों का मानना है कि श्री ट्रूडो को पता है कि अब उनके लिए कोई रास्ता नहीं है।
यहां शुक्रवार को जारी एंगस रीड सर्वेक्षण से पता चला है कि श्री ट्रूडो के नेतृत्व में लिबरल पार्टी को केवल 13 प्रतिशत मतदाताओं का समर्थन प्राप्त है, लेकिन अगर कोई नया नेता आता है तो इसमें बदलाव भी हो सकता है।