‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ भारत के संघीय ढांचे को कमजोर करता है : महबूबा

श्रीनगर, 14 दिसंबर (वार्ता) जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पहल के लिए केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की और कहा कि यह भारत के संघीय ढांचे को कमजोर करता है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी प्रदान की है जिसे संसद के चालू शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जाएगा।

सुश्री मुफ्ती ने पत्रकारों से कहा कि “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की नीति संविधान में परिकल्पित लोकतांत्रिक संरचना को नष्ट कर सकती है। उन्होंने भारत एक संघीय संरचना वाला देश है। जब आप “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की बात करते हैं, तो आप उस संघीय संरचना को कमजोर करते हैं। केंद्र सरकार स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद शक्ति के विभाजन को वापस लेने की कोशिश कर रही है।

उन्होंने कहा कि 2047 की ओर आगे बढ़ने के बजाय वे हमें पीछे की ओर यानी तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं जो बहुत गलत है।

उन्होंने अफसोस व्यक्त किया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार व्यवस्थित रूप से संविधान को कमजोर कर रही है, जो देश की विविधता एवं संघवाद को कायम रखता है।

पीडीपी नेता ने जम्मू-कश्मीर की सत्तारूढ़ पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस पर भी तीखा हमला किया और उनके 50 विधायक होने के बावजूद वादों को पूरा करने में असमर्थ रहने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “उनके पास 50 सीटें (विधायक) हैं। फिर भी अगर उनमें हिम्मत नहीं है तो मैं क्या कर सकती हूं।” उन्होंने पीडीपी के पहले कांग्रेस और बाद में भाजपा के साथ हुए गठबंधन का भी उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि “वर्ष 2002 में जब भाजपा की सरकार दिल्ली में थी तब हमारे पास 16 विधायक थे लेकिन हमने अपना एजेंडा चलाया। वहीं 2014 में हमारे पास 28 विधायक थे तब भी हमने अपना एजेंडा चलाया। आज उनके पास (नेकां) 50 हैं फिर भी वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं जो वे करना चाहते हैं। हम क्या कर सकते हैं?”

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