जबलपुर: रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के द्वारा समय पर एटीकेटी परीक्षा का आयोजन नहीं करवाये जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। याचिका में कहा गया था कि एलएलएम की परीक्षा तीन साल में उत्तीर्ण करना होती है। एटीकेटी परीक्षा में लेटलतीफी के कारण वह निर्धारित समय सीमा को डिग्री कोर्स पूरा करने में जोखिम उत्पन्न हो रहा है। हाईकोर्ट जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
कटपी निवासी यश खरे की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि वह एलएलएम का छात्र है। एलएमएम की प्रथम सेमेस्टर में उसे एटीकेटी आई थी। एटीकेटी परीक्षा का आयोजन समय पर नहीं करवाते हुए उत्तरवर्ती परीक्षा के साथ जोड दिया गया। इस विलंब के कारण याचिकाकर्ता तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल होने से वंचित रह जाएँगे। जबकि वह विश्वविद्यालय के अध्यादेश 23 ए के तहत पात्र है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आर्यन उरमलिया ने तर्क दिया कि एमएलएम का पाठ्यक्रम तीन साल में पूरा करना आवश्यक है।
विश्वविद्यालय की यह कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है। याचिका में राहत चाही गयी थी कि लंबित एटीकेटी परीक्षा आयोजित करने तथा उसे तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल होने की अनुमति देने की राहत प्रदान करें। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई 4 दिसंबर को निर्धारित की गयी है।