नयी दिल्ली 28 नवम्बर (वार्ता) प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान ने आज जोर देकर कहा कि भारत प्रगति तथा समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ रहा है और देश के सुरक्षा परिदृश्य को एक मजबूत और आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र की आवश्यकता है।
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष गुरूवार को यहां सेंटर फॉर जॉइंट वारफेयर स्टडीज और इंडियन मिलिट्री रिव्यू द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित रक्षा साझेदारी दिवस के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार भी उपस्थित थे।
उन्होंने कहा, “आज भारत वैश्विक आशावाद के केंद्र में है। हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं। जैसे-जैसे हम प्रगति और समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं, हमारा मानना है कि आत्मनिर्भरता और स्वदेशी रक्षा क्षमताएं स्थायी शांति की नींव हैं। भारत के सुरक्षा परिदृश्य को एक मजबूत और आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र की आवश्यकता है।”
जनरल अनिल चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि सभी हितधारकों को जोड़ने वाला एक सामान्य सूत्र राष्ट्रीय हित है। उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रीय हित का बंधन सभी तत्वों को एक साथ नहीं बांधता है तो स्वदेशीकरण की अवधारणा पूरी नहीं होगी।
रक्षा क्षेत्र में सरकार द्वारा किए गए विभिन्न सुधारों और पहलों का उल्लेख करते हुए जनरल चौहान ने कहा, ‘‘ भारत ने सुधारों के माध्यम से अपने रक्षा उद्योग को खोल दिया है। इसने इसे निजी उद्योग, संयुक्त उपक्रम, एफडीआई आदि के लिए खोल दिया है। लेकिन, हमें अभी भी अपने दिमाग को पूरी तरह से खोलना है। वास्तव में सफल होने के लिए, हमें ‘4आई’ को आत्मसात करना होगा और अभिनव, आविष्कार, स्वदेशी और कल्पनाशील बनना होगा।”
उन्होंने कहा कि रक्षा विनिर्माण में निवेश का फायदा मिलने में समय लगता है, और रक्षा अनुसंधान और विकास में समय अंतराल और भी अधिक लंबा है साथ ही परिणाम भी अनिश्चित हो सकते हैं। उन्होंने अंतरिक्ष, एआई, क्वांटम और स्वायत्त प्रणालियों जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में रक्षा नीतियों के निर्माण का भी सुझाव दिया जो उद्योग को दिशा देते हैं कि सेना भविष्य को कैसे देखती है।