जनप्रतिनिधियों की इच्छा शक्ति और प्रशासन की कर्म शक्ति के अभाव में नगर में अव्यवस्थित यातायात व्यवस्था।

*पेटलावद।*

 

नगर में मुख्य मार्गो पर खडे रहने वाले अव्यवस्थित दो पहिया और चार पहिया वाहन परेशानी का सबब बने हुए है। किंतु इस और जिम्मेदारों का ध्यान ही नहीं है। नगर परिषद के सभी जनप्रतिनिधि केवल खोखली राजनीति में लगे हुए है। उन्हें नगर की व्यवस्थाओं से कोई लेना देना नहीं है। नगर के सभी चौराहों की व्यवस्था पूर्ण रूप से ध्वस्त हो चुकी है। मुख्य मार्ग और नगर के अंदर के मार्ग अतिक्रमण की चपेट में है किंतु प्रशासन को कुछ भी दिखाई नहीं देता है। बैंकों के बाहर खडे अव्यवस्थित वाहन आवागमन को बाधित कर दुर्घटनाओं को निमंत्रण दे रहे है किंतु जवाबदार आंखे मुंदे बैठे है। नगर परिषद के अधिकारी हो या पुलिस प्रशासन के अधिकारी हो। केवल समय समय पर रस्म अदायगी के अलावा कुछ नहीं करते है।

 

*जनता भी जिम्मेदार।*

 

इस अव्यवस्थाओं को लागू करने में दूसरा पक्ष आम जनता का भी आता है जो की नगर के मुख्य मार्गो को व्यवस्थित रखने में कोई सहयोग नहीं प्रदान कर रही है। बैंक में जाने वाले आमजन ही अपने वाहन अव्यवस्थित तरीके से रखते है। जिससे परेशानी अन्य लोगों को होती है। इसके लिए आमजन को भी जागरूक हो कर नगर को व्यवस्थित रखने में सहयोग देना होगा।

 

*प्रशासन सख्त रूप अपनाये।*

 

नगर के नागरिकों का कहना है कि प्रशासन को मुख्य मार्गो को व्यवस्थित करने में सख्त रूप लेना चाहिए क्योंकि जो नगर की व्यवस्था को बिगाड रहे है उनके खिलाफ कार्यवाही की जाये और बैंकों के बाहर खडे रहने वाले वाहनों को व्यवस्थित करवाने की जवाबदारी भी बैंक प्रबंधन को देना चाहिए। ताकी वह उचित पार्किंग मुहैया करवा कर मुख्य मार्ग पर वाहन खडे नहीं रहने दे।

 

*बैंको के बाहर खडे वाहन परेशानी का सबब।*

 

नगर के मुख्य मार्ग रायपुरिया रोड, बामनिया रोड और कानवन रोड पर ही बैंकों का डेरा है। जिसमें एसबीआई, बीओबीे, बीओआई,नर्मदा झाबुआ और अन्य संस्थाएं है। जिनके ग्राहक मुख्य मार्ग तक अव्यवस्थिति वाहन खडे कर देते है जिससे इन स्थानों पर आवगमन बाधित होता है। इसके साथ ही तहसील कार्यालय के सामने स्थाई रूप से खडे रहने वाले वाहन भी एक बडी समस्या है। जिसके लिए प्रशासन को लगातार कार्यवाही करना होगी।

 

*आज तक नहीं मिला बस स्टेंड।*

 

बस स्टेंड का अभाव होना भी पेटलावद नगर का दुर्भाग्य और जनप्रतिनिधियों की कर्मण्यहीनता को दर्शाता है। पूर्व परिषद के समय बस स्टेंड निर्माण के लिए 50 लाख रूपये की राशि आई थी किंतु स्थान के अभाव में परिषद कुछ नहीं कर पाई। बस स्टेंड बनाने के लिए परिषद को कोई स्थान ही नहीं मिला। इसमें भी कई राजनितिक और दुर्भावना के कारण रहे है। जिसके चलते आज तक नगर को सुव्यवस्थित बस स्टेंड भी नहीं मिल पा रहा है।

आमजन चाहता है कि नगर का आवागमन व्यवस्थित रहे और पार्किंग की उचित सुविधाएं मिले ताकी आने जाने वालों को परेशानी का सामना नहीं करना पडे।इसके लिए जनप्रतिनिधियों की इच्छा शक्ति और प्रशासनिक अधिकारियों की कर्म शक्ति ही यातायात व्यवस्था को सुगम बना सकती है।

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