नयी दिल्ली 16 नवंबर (वार्ता) ग्लोबल मैचिंग एंड हायरिंग प्लेटफॉर्म इनडीड ने अपने एक सर्वक्षण का हवाला देते हुये कहा है कि भारतीय कर्मचारी कार्यस्थल पर पहचान और खुलापन चाहते हैं तथा खुद को महत्वपूर्ण और समावेशी समझने और कर्मचारियों की खुशी एवं आत्मविश्वास के बीच सीधा संबंध होता है।
इनडीड के लिए डीईआईबी द्वारा किए गए सर्वे ‘ब्रिजिंग द गैप’ रिपोर्ट में यह बात कही गयी है। देश के 3,005 लोगों के बीच सर्वे किया गया। इस सर्वे में विभिन्न उद्योगों और आकारों के व्यवसायों से रोजगार प्रदाता (30 प्रतिशत) और कर्मचारियों (70 प्रतिशत) ने हिस्सा लिया। उत्तरदाताओं में 21 साल या उससे अधिक उम्र के महिला और पुरुष शामिल थे, जिन्होंने भारतीय कार्यस्थलों पर विविधता, समानता, समावेशिता, और जुड़ाव (डीईआईबी) के बारे में व्यापक जानकारी दी। इस सर्वे में कार्यस्थल की संस्कृति, कर्मचारियों की समावेशिता और कल्याण को प्रभावित करने वाले तत्वों के बारे में जानकारी एकत्रित की गई।
इसमें कार्यस्थल पर समावेशिता की मौजूदा स्थिति और इसे प्रभावित करने वाले तत्वों का खुलासा हुआ है। इस सर्वे में सामने आया कि खुद को महत्वपूर्ण और समावेशी समझने और कर्मचारियों की खुशी और आत्मविश्वास के बीच सीधा संबंध होता है।
इसमें सामने आया है कि वरिष्ठ नेतृत्वकर्ताओं द्वारा पहचाने जाने का सकारात्मक कार्यसंस्कृति के विकास में काफी महत्व है। 63 प्रतिशत कर्मचारियों ने वरिष्ठ नेतृत्वकर्ताओं द्वारा पहचाने जाने के महत्व पर जोर दिया। व्यक्तिगत योगदान भी उत्साह बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाता है। 62 प्रतिशत कर्मचारी अपनी टीम द्वारा अपने प्रयासों को सराहे जाने पर ज्यादा खुश महसूस करते हैं। इसके अलावा, 58 प्रतिशत कर्मचारी अपने साथियों द्वारा अपनी राय और विचारों का स्वागत किए जाने को महत्व देते हैं। इस तरह के उत्साहवर्धन और समावेशन से आत्मविश्वास बढ़ता है और एक ज्यादा सहयोगपूर्ण, सकारात्मक कार्यस्थल का विकास होता है, जिसमें कर्मचारियों को आगे बढ़ने में मदद मिलती है।
इनडीड इंडिया के विक्रय प्रमुख शशि कुमार ने कहा, “यह स्पष्ट है कि एक अनुकूल कार्यस्थल के लिए सुरक्षित एवं खुला वातावरण बहुत महत्वपूर्ण है। कर्मचारी यह महसूस करना चाहते हैं कि उनकी आवाज को सुना जाता है तथा उनके योगदान को महत्व दिया जाता है। जो कंपनियाँ अपनी संस्कृति में सम्मान और समावेशन को महत्व देती हैं, वो एक प्रेरित और उत्साहित कार्यबल को आकर्षित करने और बनाए रखने में सफल होती हैं। ये बातें न केवल कर्मचारी कल्याण के लिए आवश्यक हैं, बल्कि व्यवसाय के लिए भी अच्छी हैं।”
इसमें सामने आया कि एक खुला वातावरण, जो रचनात्मकता को महत्व देता है, संतुष्टि बढ़ाता है और कार्यस्थल के तनाव को कम करने में मदद करता है। सर्वे में शामिल लगभग 63 प्रतिशत कर्मचारियों ने बताया कि उनकी कंपनियाँ रचनात्मक विचार को बढ़ावा देती हैं, जिससे उन्हें ज्यादा कनेक्टेड महसूस होता है। साथ ही 61 प्रतिशत कर्मचारी खुलकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कार्यस्थल में ज्यादा सहभागिता की भावना को महत्व देते हैं, जो विचारों के आदान-प्रदान और समावेशन को बढ़ावा दे। खुलकर बात करने, उपलब्धियों को सम्मानित करने, और रचनात्मकता का विकास करने से कंपनियों को कर्मचारियों और उनके दायित्वों के बीच गहरा तालमेल बनाने और एक सकारात्मक कार्य-संस्कृति का विकास करने में मदद मिलती है।
जहाँ भारतीय कार्यस्थलों पर खुलेपन को बढ़ावा देने में प्रगति हुई है, वहीं इस सर्वे में कई तत्व ऐसे भी सामने आए हैं, जो जुड़ाव की भावना को कम करते हैं। साथियों द्वारा पक्षपात (43 प्रतिशत), थकान और काम व जीवन के बीच संतुलन (38 प्रतिशत), दायित्व को लेकर स्पष्टता की कमी (33 प्रतिशत), और प्रत्यक्ष मैनेजर द्वारा निंदा (32 प्रतिशत) कर्मचारियों की समावेशिता और कल्याण को प्रभावित करने वाली मुख्य चुनौतियाँ हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एक समावेशी और संतोषप्रद कार्य का वातावरण स्थापित करने के लिए संगठनों को ये कमियाँ दूर करने के लिए कदम उठाने आवश्यक हैं। इन उपायों में सम्मान दिए जाने को प्राथमिकता बनाना, खुलकर बातचीत को बढ़ावा दिया जाना, और भेदभाव को कम किया जाना आवश्यक है। विभिन्न विचारों को महत्व देकर और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करके कंपनियाँ एक ऐसा कार्यस्थल विकसित कर सकती हैं, जहाँ हर कर्मचारी को सम्मानित, महत्वपूर्ण और कनेक्टेड महसूस हो।