साल में एक दिन इसलिए खुलता है मंदिर
ऐसा बताया जाता है कि जब भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय से कहा था कि जो तीनों लोक की परिक्रमा करके सबसे पहले हमारे पास आएगा, उसकी पूजा सबसे पहले मानी जाएगी। इस पर भगवान गणेश ने माता-पिता की परिक्रमा लगाई, क्योंकि उनमें तीनों लोक समाहित होते हैं। गणेश की इस बुद्धिमता से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें ये आशीर्वाद दिया था कि उनकी पूजा सभी देवी – देवताओं से पहले होगी।
जब कार्तिकेय तीनों लोक की परिक्रमा लगाकर वापस लौटे तो देखा कि गणेश जी की जय – जयकार हो रही है। सभी ने उन्हें भगवान मान लिया है। इस पर वे नाराज हुए और खुद को एक गुफा में बंद कर श्राप दिया कि जो महिला उनके दर्शन करेगी, विधवा हो जाएगी, पुरुष 7 जन्म नरक में जाएंगे। इस पर भगवान शिव ने उन्हें समझाया तो क्रोध शांत हुआ। अंत में शिव ने वरदान दिया कि कार्तिक के जन्मदिन यानी कार्तिक पूर्णिमा पर उनके दर्शन किए जा सकेंगे। इसलिए साल में यह मंदिर एक दिन के लिए खुलता है