नवभारत न्यूज
रीवा, 5 नवम्बर, रीवा एवं मऊगंज जिले में रवी की बोनी किसानो ने शुरू कर दी है. लेकिन सहकारी समिति से खाद और बीज गायब है. लिहाजा किसान मंहगे दाम पर व्यापारियों के यहा से खाद और बीज लेने को विवश है. अधिकारी पर्याप्त खाद और बीज का ढिंढोरा पीट रहे है जबकि मैदानी हकीकत यह है कि खाद-बीज कही नही मिल रहा है. क्षेत्र में पलेवा लगाने के बाद खाद-बीज के लिये किसान भटक रहे है.
अन्नदाता किसान जो शायद बेचारा बन चुका है इस समय चना मसूर और गेहूं की भी बोनी सर पर है. लेकिन दिन भर किसान भटक रहे खाद के लिए और उसे पता नहीं है कि खाद मिलेगी कहां और अभी अगर कहीं मिल भी रही है तो दोगुने और तीन गुने रेट पर मिल रही है. अब सबसे बड़ा सवाल कि आखिर क्या जो जिले के जिम्मेदार अधिकारी हैं उन्हें खाद की किल्लत नहीं दिख रही क्या वह इस तरह की किसानों की परेशानी से अनभिज्ञ है या वह अपनी जिम्मेवारियों से मुंह मोड़ लिए हुए किसान खाद बीज के लिए त्राहि त्राहि कर रहा है किसी भी सहकारी संस्थान में खाद है ही नहीं लेकिन व्यापारियों के पास जो खाद है वह गुणवत्ता विहीन है राख जैसी है जैसा कि किसानों का आरोप है और वह भी 1400-1500रुपए बोरी मिल रही है आखिर किसानो की इस पीड़ा को कौन देखें. सवाल यह उठता है कि जब सिंचाई का रकवा क्षेत्रफल अधिकारियों को मालूम है तो फिर खाद और बीज की व्यवस्था क्यो नही की गई. अगर पहले से पर्याप्त खाद और बीज जिले में होता तो किसानो को न भटकना पड़ता और न ही व्यापारियों के हाथो मंहगे दामो पर खाद-बीज लेनी पड़ती. रीवा एवं मऊगंज जिले में खाद-बीज को लेकर हाहाकार मचा हुआ है.
जनपद अध्यक्ष ने लिखा पत्र
जनपद अध्यक्ष नईगढ़ी ममता कुंजबिहारी से क्षेत्र के किसानो ने अपनी समस्या बताई जिसके बाद उन्होने इस संबंध में पत्र लिखा है और जो वरिष्ठ अधिकारी और वरिष्ठ जनप्रतिनिधि हैं उनको भी किसानों की समस्याओं से अवगत कराया है. ताकि किसानो को समय पर खाद-बीज मिल सके. उन्होने प्रदेश के मुख्यमंत्री से तत्काल खाद-बीज उपलब्ध कराने की मांग की है.
एक सप्ताह के अंदर आ रही रैक: उप संचालक कृषि
उप संचालक कृषि यू.के बागरी ने बताया कि बीज की दिक्कत ज्यादा नही है खाद की समस्या जिले में है. ऊपर अधिकारियों से बात की गई है, जल्द ही खाद का रैक आने वाला है. जिसके बाद खाद की आपूर्ति की जायेगी. अभी किसान चना, मसूर आदि की बोनी कर रहे है जिससे खाद की ज्यादा दिक्कत नही है. 15 नवम्बर के बाद मांग बढ़ेगी, इसके पहले खाद की रैक पहुंच जायेगी.