ग्वालियर। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी दीपावली में जम कर पटाखे चलाने के कारण ग्वालियर चंबल की आबोहवा खराब हो गई है। प्रदूषण का स्तर करीब तीन गुना तक बढ़ गया है। ग्वालियर के डीडीनगर में शुक्रवार सुबह करीब साढ़े 9 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 408 दर्ज किया गया। इस तरह प्रदेश में ग्वालियर में सर्वाधिक प्रदूषण दर्ज किया गया है। कई शहरों में एयर फ्लो की वजह से आतिशबाजी के बावजूद एक्यूआई बकम हुआ है। एयर फ्लो से मतलब यह है कि तेज हवा चलने याउ हवा का दबाव ज्यादा होने के चलते प्रदूषण कम हो जाता है।
मध्यप्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 यानी धूल के बारीक कण से सबसे अधिक प्रदूषण हो रहा है। सभी जगहों पर जो एक्यूआई बढ़ रहा है, इसका मुख्य मुख्य कारण पीएम 2.5 ही है। हवा में मौजूद हानिकारक तत्व जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और छोटे-छोटे कण स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं। पहली बार एडवाइजरी में विभाग ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की एक रिपोर्ट का जिक्र किया है, जिसमें भारत में होने वाली कुल मौतों का 18 प्रतिशत केवल वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के कारण है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 से 500 के बीच खतरनाक होता है। प्रदूषण से आंखों, गले और त्वचा में जलन, सांस लेने में दिक्कत, सिरदर्द और चक्कर आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं, तेज पटाखों की आवाज से कानों में घंटी बजना, सुनने में कठिनाई और नींद में खलल जैसी समस्याएं हो सकती हैं।