न्यूयॉर्क 22 अक्टूबर (वार्ता) केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि वैश्विक परिवेश के लगातार जटिल होते जाने के बावजूद भारत के व्यापक आर्थिक बुनियादी ढांचे मजबूत बने हुए हैं, जो भविष्य के विकास के लिए एक मजबूत आधार के रूप में काम कर रहे हैं।
श्रीमती सीतारमण ने यहां कोलंबिया यूनिवर्सिटी में एक परिचर्चा में यह बात कही। उन्होंने कहा कि 2013 में, भारत बाजार विनिमय दरों पर दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। वर्तमान में, यह पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है,और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अनुमान लगाया है कि यह 2027 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। वैश्विक विकास में भारत के योगदान में अगले पाँच वर्षों में 200 आधार अंकों की वृद्धि होने का अनुमान है।
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत की अच्छी आर्थिक वृद्धि का श्रेय इसके बेहतर कोविड-19 प्रबंधन को दिया जा सकता है, साथ ही सरकार द्वारा अपनी विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करने, डिजिटल और वित्तीय प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करने, नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाने और व्यापार करने में आसानी बढ़ाने के लिए किए गए उपायों की एक श्रृंखला को भी दिया जा सकता है।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि वित्तीय समावेशन के विस्तार ने एक अधिक जीवंत और लचीली वित्तीय प्रणाली बनाई है। बैंक खातों वाले वयस्कों की संख्या 2011 से दोगुनी से अधिक हो गई है, जिससे बचतकर्ताओं और निवेशकों का एक बड़ा समूह उपलब्ध हुआ है। वित्तीय पहुँच में यह वृद्धि, अधिक शिक्षित और कुशल कार्यबल के साथ मिलकर, भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में उभरते रुझानों का लाभ उठाने की स्थिति में ला खड़ा करती है।