उज्जैन। कार्तिक मास में धनतेरस और दीपावली के पहले आने वाला पुष्य नक्षत्र धन, वैभव और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह दिन वैदिक ज्योतिष में सर्वाधिक शुभ नक्षत्र है। 24 अक्टूबर को गुरु पुष्य नक्षत्र का बेहद शुभ संयोग बन रहा है।
इस नक्षत्र को पोषण करने वाला भी माना जाता है। इसमें औषधि ग्रहण करना ईश्वर के वरदान समान माना गया है। ज्योर्तिविदों के अनुसार, पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि देव होते है, लेकिन गुरु बृहस्पति को इसका अधिष्ठाता देवता माना जाता है। जब चंद्रमा अपनी दैनिक गति से अपनी कर्क राशि में प्रवेश करते हैं तो कर्क राशि में 3 अंश 40 कला से 16 अंश 40 कला तक पुष्य नक्षत्र का विस्तार होता है।
नक्षत्रों का राजा 27 नक्षत्रों के क्रम में 8वें स्थान पर आता है। यह नक्षत्र हर दृष्टि से संपन्नता। आर्थिक लाभ और घर में खुशियों भर देने वाला माना जाता है। इस योग में खासकर नूतन गृह प्रवेश, नवीन बहीखाता लेखन, धन संचय, प्रॉपर्टी और वाहन की खरीदी तथा आभूषण खरीदी के लिए अति शुभ फल देने वाला होता है। पुष्य नक्षत्र में खरीदी गई कोई भी वस्तु लंबे समय तक उपयोगी रहती है। पुष्य नक्षत्र पर सोना, चांदी, लोहा, बही खाता, परिधान, उपयोगी वस्तुएं खरीदना, बड़े निवेश करना शुभ माने जाते हैं। इस नक्षत्र के देवता बृहस्पति है, जिसका कारक सोना है। स्वामी शनि लोहा और चंद्र का प्रभाव रहता है, इसलिए चांदी खरीदते हैं। स्वर्ण, लोहा या वाहन और चांदी की वस्तुएं खरीदी जा सकती है।
पूरे दिन रहेगा मुहूर्त, खूब होगी खरीदी
इस बार गुरु-पुष्य नक्षत्र का योग अति शुभ है, क्योंकि इसी दिन अमृत योग और सर्वार्थ सिद्धि योग है। 24 अक्टूबर को पूरे दिन अमृत सिद्धि योग होने से पूरे दिन खरीदी के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा। इस दिन गुरुवार प्रात: 6.16 मिनट से पुष्य नक्षत्र लगेगा जो दूसरे दिन प्रात: 7.40 मिनट तक रहेगा। साथ ही श्री राधा रानी की जयंती का भी योग इसी दिन है।
यह है शुभ मुहूर्त
प्रात: 6.28 मिनट से 7.53 मिनट तक (शुभ), प्रात: 10.43 मि. से दोपहर 12.08 मि. तक (चर), दोपहर 12.09 मि. से 1.33 मि. तक (लाभ), दोपहर 4.23 मि. से शाम 5.48 मि. तक (शुभ), शाम 5.49 मि. से 7.23 मि. तक (अमृत), शाम 7.24 मि. से रात 8.58 मि. तक (चर), रात 12.08 मि. से 1.43 मि. तक (लाभ) का पंडितों द्वारा बताया गया है।