सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में डेंगू के अलग-अलग टेस्ट
जबलपुर: विगत 2 महीने से डेंगू अपना कहर शहर में बरसाए हुआ था। जिसके चलते रोजाना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही थी। वहीं डेंगू के मरीज की संख्या में इजाफा होते ही स्वास्थ्य विभाग में भी हडक़ंप मचा हुआ था। परंतु पिछले कई दिनों से सरकारी आंकड़ों के अनुसार एक भी डेंगू का मरीज सामने नहीं आया है, परंतु उसके विपरीत प्राइवेट अस्पतालों में बड़ी संख्या में डेंगू के मरीज सामने आ रहे हैं। जो कि अस्पताल में भर्ती होकर अपना इलाज भी करा रहे हैं। जिसके चलते शहर भर में डेंगू की दस्तक अभी भी बनी हुई है। जानकारी के अनुसार सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में डेंगू की अलग-अलग टेस्ट होते हैं, जिसके चलते सरकारी और प्राइवेट आंकड़े के अनुसार मरीज की संख्या भी अलग-अलग सामने आ रही है। जिसके चलते सरकारी रिकॉर्ड से निजी अस्पतालों में आने वाले डेंगू मरीजों के आंकड़े गायब है।
सरकारी अस्पतालों में एलिसा टेस्ट
जानकारी के अनुसार 1 जनवरी से अभी तक जितने भी डेंगू के मरीज सामने आए हैं वह सभी सरकारी आंकड़े हैं। जिसमें एलिसा टेस्ट के माध्यम से ही यह पुष्टि की जाती है कि मरीज को डेंगू बीमारी है कि नहीं है। इस टेस्ट की रिपोर्ट को ही सरकारी आंकड़ों में जोड़ा जाता है,जो की सरकारी डॉक्टर इसकी पुष्टि से ही डेंगू के मरीज की पुष्टि करते हैं। जबकि इसके विपरीत प्राइवेट अस्पतालों में जो टेस्ट होता है उस टेस्ट को सरकारी आंकड़ों में नहीं जोड़ा जाता है, जिससे प्राइवेट अस्पतालों में मरीज बढ़ रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक 1 जनवरी 2024 से मरीजों की संख्या 338 हो चुकी है।
प्राइवेट अस्पताल उपयोग कर रहे कार्ड टेस्ट
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर संजय मिश्रा ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में डेंगू के मरीजों की टेस्ट के लिए एलिसा टेस्ट को ही मुख्य माना जाता है,जिसके बाद ही डेंगू के मरीज की पुष्टि होती है। परंतु प्राइवेट अस्पतालों में कार्ड टेस्ट किया जाता है, जो सरकारी अस्पतालों में मान्य नहीं होता है और पूरी तरह से सच नहीं होता है। जिसके कारण ही प्राइवेट अस्पतालों में आए दिन डेंगू के मरीज निकल रहे हैं और भर्ती होकर अपना इलाज कर रहे हैं।
इनका कहना है
दो प्रकार के टेस्ट अस्पताल में होते हैं, सरकारी अस्पताल में एलिसा टेस्ट किया जाता है, उसके बाद ही डेंगू के पुष्टि की जाती है। परंतु प्राइवेट अस्पताल में जो टेस्ट होता है, उसे सरकारी अस्पताल में नहीं माना जाता है।
डॉ संजय मिश्रा, सीएमएचओ