सोने की कीमतों में लगातार वृद्धि

सोना उछल रहा है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत बढऩे से भारत में भी दाम में वृद्धि हुई है. बीते पांच मार्च को ही 24 कैरेट सोने की कीमत 69,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार कर गयी, जो अब तक की अधिकतम कीमत है. सवाल यह है कि सोने की कीमत का बढऩा अर्थव्यवस्था की दृष्टि से शुभ है या अनिष्टकारी ? दरअसल,मामला इसके बीच का है. वास्तव में रूस यूक्रेन युद्ध और हमास तथा इजरायल की जंग के कारण रूबल,दिनार और यूरो डॉलर का अवमूल्यन हुआ है. ऐसे में न केवल निवेशक बल्कि बैंक और वित्तीय संस्थान भी भारी मात्रा में सोने की खरीद कर रहे हैं. इसी वजह से सोने के मूल्य में वृद्धि हो रही है.वस्तुत: बाजार में कीमतें मांग और आपूर्ति के अनुसार तय होती हैं. यदि आपूर्ति कम और मांग ज्यादा है तो उस वस्तु की कीमत बढ़ाना तय है. सोने के साथ भी यही हो रहा है. जहां तक भारत का सवाल है तो प्राचीन समय से ही भारतीय सोने में निवेश करना सबसे अधिक पसंद करते हैं.विशेष रूप से ग्रामीण भारत में आज भी सोने के प्रति जबरदस्त आकर्षण है.बहरहाल, सोने की कीमतों का निर्धारण अंतरराष्ट्रीय बाजार के हिसाब से होता है. अंतरराष्ट्रीय आर्थिक जगत में फिलहाल हल्की मंदी है. अमेरिका और किसी भी यूरोपीय देश की आर्थिक विकास दर तीन फ़ीसदी से ऊपर नहीं है. ऐसे में दुनिया के तमाम विकसित देशों के फेडरल रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं. इससे कर्ज और जमा दरों में कमी आ सकती है. जाहिर है अधिक प्रतिफल की आस में लोग सोने में निवेश के लिए प्रेरित हो रहे हैं. जिससे मांग और कीमत में वृद्धि हो रही है.मई में अक्षय तृतीया भी है, जिसमें भारी मात्रा में सोने की खरीद की जाएगी. लोकसभा के चुनाव भी हैं . राजनीतिक स्थिरता से अर्थव्यवस्था में मजबूती आती है. सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) के आंकड़े भी उम्मीद से बेहतर रहे हैं. चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत रही और जीडीपी 41.74 लाख करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंच गयी. दूसरी तिमाही में भी वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रही थी. मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति दर घटकर 5.10 प्रतिशत रह गयी, जो पिछले दिसंबर में 5.72 प्रतिशत थी. महंगाई में अभी और कमी आयेगी. अर्थव्यवस्था के बेहतर रहने से लोग अधिक प्रतिफल की आस में सोने में निवेश करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं. सोने की कीमत बढऩे से निवेशकों को फायदा होता है, लेकिन इसे खरीदना जिनकी जरूरत होती है, उनके लिए मुश्किलें बढ़ जाती हैं.इन दिनों विवाह का मौसम है और 2024 के लीप ईयर होने के कारण इस साल को विवाह के लिए शुभ माना जा रहा है. अप्रैल, मई, अगस्त, नवंबर और दिसंबर को भी शुभ माना जा रहा है. भारत में हमेशा से विवाह और सोने के गहने के बीच चोली-दामन का रिश्ता रहा है. हिंदू धर्म के 16 संस्कारों अर्थात जन्म से मृत्यु तक में सोने का लेन-देन किया जाता है. भारतीय स्त्रियों के लिए सोना सिर्फ गहना नहीं है, बल्कि सुहाग, स्वाभिमान और गौरव का प्रतीक है. इसलिए वे सोना खरीदती तो हैं, लेकिन बेचती कभी नहीं हैं. सोने के गहने बेचने के मामले सिर्फ गंभीर संकट की स्थिति में ही देखने को मिलते हैं.विवाह में सभी अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने के गहने अपनी बेटी को देते हैं, लेकिन अब गरीबों के लिए यह मुश्किल का सबब बन गया है, क्योंकि पिछले 17 सालों में प्रति 10 ग्राम सोने की कीमत में बड़ी वृद्धि हुई है. प्रति 10 ग्राम सोने की कीमत पांच मई 2006 को 10,000 रुपये थी, जो 22 जुलाई 2020 को 50,000 रुपये और 20 मार्च 2023 को 62,000 रुपये हो गयी. इस माह यह आंकड़ा 69000 रुपये से अधिक हो गया है.दरअसल,

सोना, एक मूल्यवान संपत्ति और दुनिया भर में धन और समृद्धि का प्रतीक के रूप में प्राचीन काल से लोगों को लुभाता रहा है. विशेष रूप से भारत में, कोई भी प्रमुख त्योहार या शादी उपहार के रूप में सोने और सोने के आभूषणों की खरीद या विनिमय के बिना पूरी नहीं होती है. कुल मिलाकर सोने की कीमतों में हो रही अभूतपूर्व वृद्धि का अर्थ यही है कि इन दिनों सोने की मांग बहुत ज्यादा है. इसका एक अर्थ यह भी है कि लोगों की क्रय शक्ति बढ़ गई है. लोग तरल मुद्रा की बजाय सोने को संपत्ति के रूप में सहेज कर रखना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. सोने की कीमतों से आम आदमी के जनजीवन पर भले ही असर न पड़े लेकिन इससे कम से कम यह पता चलता है कि भारत में अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी ठीक है और वह तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है.

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