मानहानि मामले में केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की याचिका पर फैसला सुरक्षित

राज्यसभा सांसद व अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा के आवेदन पर न्यायालय ने दिये थे प्रकरण दर्ज करने निर्देश

जबलपुर। राज्यसभा सांसद व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विवेक तन्खा द्वारा दायर किए गए दस करोड़ रुपए के मानहानि के मामले में एमपीएमएलए कोर्ट ने पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा व पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिये थे। न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस संजय यादव की एकलपीठ ने फैसला सुरक्षित रखने के आदेश जारी किये हैं।

गौरतलब है कि कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा ने एमपीएमएलए कोर्ट जबलपुर में केन्द्रीय मंत्री व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और विधायक भूपेंद्र सिंह के खिलाफ 10 करोड़ की मानहानि का परिवाद दायर किया था। परिवाद में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण से संबंधित उन्होंने कोई बात नहीं कही थी। उन्होंने मध्य प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव मामले में परिसीमन और रोटेशन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी तो भाजपा नेताओं ने साजिश करते हुए इसे गलत ढंग से पेश किया। सीएम शिवराज सिंह, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह ने गलत बयान देकर ओबीसी आरक्षण पर रोक का ठीकरा उनके सिर फोड़ दिया। जिससे उनकी छवि धूमिल करके आपराधिक मानहानि की है। एमपी एमएलए विशेष कोर्ट ने 20 जनवरी को तीनों के विरुद्ध मानहानि का प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए थे। जिसके खिलाफ तीनों नेताओं ने हाईकोर्ट की शरण ली थी।

एमपी एमएलए कोर्ट ने तीनों नेताओं को 22 मार्च को उपस्थित होने का निर्देश दिया था। तीनों नेताओं ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित ना होकर गैर हाजिरी माफी आवेदन प्रस्तुत किया था। जिसमें स्वयं को लोकसभा चुनाव में व्यस्त बताते हुए एक आवेदन और प्रस्तुत किया। जिसमें उन्हें 7 जून तक का समय दिए जाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने आवेदन स्वीकार करते ही एक शर्त रखी कि वे 2 अप्रैल को स्वयं उपस्थित होकर ये बात कोर्ट के सामने अंडरटेकिंग दे। जिसके बाद 2 अप्रैल को भी जब तीनों ही नेता कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए तो उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया। पूर्व मुख्यमंत्री के अधिवक्ता ने न्यायालय में 7 जून को उपस्थित होने का आवेदन दायर किया था जिसे कि खारिज कर दिया गया है। जिसके खिलाफ तीनों नेताओं ने हाईकोर्ट की शरण ली थी।

एकलपीठ द्वारा शनिवार को दोनों याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई की गयी। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखने के आदेश जारी किये है। याचिकाकर्ता भाजपा नेताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह तथा शिकायतकर्ता की तरफ से पैरवी करने सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की।

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