इंदौर:कुछ वर्ष पहले बढ़ते यातायात के बीच शासन द्वारा प्रदेश भर में ई-रिक्शा के लिए अनुमति दी गई लेकिन ई-रिक्शा चालकों के कारण दूसरे वाहन चालकों को खासी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.पिछले कुछ महीनों से शहर की सड़कों पर ई-रिक्शा की संख्या ज्यादा बढ़ती आ रही है जिसके चलते यातायात व्यवस्था में आम लोगों की समस्याएं बढ़ गई है. इस बढ़ती अव्यवस्था के कई कारण है जिसमें मुख्य पहले यह है कि शासन एवं प्रशासन की ओर से अनुमति मिलते ही मानो प्रदेश के प्रत्येक बड़े और छोटे शहरों में सैलाब सा आ गया. सड़कों पर इनकी तादाद एकदम से बढ़ी और बिना नियम को जाने ई-रिक्षक वाहन चालक अपनी मनमानी करते दिखाई देते हैं.
दूसरा यह कि जो व्यक्ति ई रिक्शा वाहन चला कर अपनी जीविका चला रहा है. उसे किसी भी तरह का अनुभव नहीं होता. न ही पूर्व में प्रशासन द्वारा उसको प्रशिक्षण दिया गया हो. इन कारणों के बीच सबसे बड़ी बात यहां देखी गई है कि ई-रिक्शा चलाने वाले चालक या तो नाबालिग है या फिर 18 से 22 वर्ष की आयु के हैं जो यातायात के सारे नियम ताक पर रखकर अपना ई-रिक्शा वाहन यातायात के बीच बे-ख़ौफ़ दौड़ा रहे हैं. चलते वाहन पर मोबाइल पर बात करना लोगों के साथ झगड़ा करना और बे-तरतीब वाहन चलकर दूसरों की समस्याएं बढ़ाने में बिल्कुल चूक नहीं करते.
इनका कहना है
ऑटो चालकों पर विभाग सख़्ती करता है लेकिन ई-रिक्शा चालकों की हरकतों पर यातायात विभाग भी अपनी आंखें मूंदे हुए हैं. वाहन तो वाहन होता है फिर इन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही.
– लोकेश यादव
इन्हें अनुभव नहीं है. न ही इनके पास कोई प्रशिक्षण है जिसकी वजह से यह नियम तोड़कर कहीं भी खड़े हो जाते हैं. किधर भी मुड़ जाते हैं. समझाइश दो तो झगड़ा करने लगते हैं.
– कृष्णा डेक्क्या
ऑटो चालक समझदारी से वाहन चलाते हैं. ई-रिक्शा चालक बेलगाम. छोटे बच्चों को ई-रिक्शा के माध्यम से अगर रोजगार चाहिए तो प्रशासन उन्हें प्रशिक्षण दे. इसके अलावा कार्ड जारी कर इनका रूट भी तय करें.
– मोहम्मद मुस्तफा