लाल आँखों में गुस्सा,12 साल से नहीं बढ़े सोयाबीन के दाम

300 ट्रेक्टरों से शहर जाम,पंजाब-हरियाणा जैसी ताकत खंडवा में दिखी, 60 से ज्यादा गांवों के किसान आए

 

नवभारत न्यूज

खंडवा। पंजाब-हरियाणा के किसानों जैसी ताकत खंडवा में भी दिखी। किसानों की आँखों में शोषण के खिलाफ आक्रोश था। सत्तारूढ़ सरकार से सोयाबीन के सही दाम नहीं मिलने से नाराज थे। किसान पहले मंडी में एकत्रित होकर सभा जैसा माहौल बना दिया। पूरे शहर को जाम कर दिया। इसके बाद स्टेडियम में ट्रेक्टरों समेत एकत्रित हुए। कलेक्टर को कृषिमंत्री व स्थानीय बड़े जनप्रतिनिधियों के नाम ज्ञापन दिया।

संयुक्त कृषक संगठन ने मिलकर प्रभावी व बड़ी रैली बुधवार को निकली। सुबह से जिले के 60 से ज्यादा गांवों के हजारों किसान सब्जी मंडी में इक_ा हुए। 300 से ज्यादा ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर शहर की सडक़ों पर ताकत दिखाई।

2012 से भाव नहीं बढ़े

किसानों की मांग है कि सरकार ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 तय किया है, लेकिन इससे ज्यादा किसानों को इसमें खर्चा आता है। पिछले कई सालों में महंगाई बढ़ी है। 2012 में जो सोयाबीन का भाव था। 2024 में भी सोयाबीन वही भाव बिक रही है। इसलिए किसानों की मांग है कि सोयाबीन के दाम 6 हजार रुपए, मक्का 2500, कपास 10 हजार रु और गेहूं 2500 रुपए प्रति क्विंटल के दिए जाएं।

12 साल से नहीं बढ़ी कीमत

संयुक्त किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि पूरे देश में सोयाबीन की कीमत पिछले 15 सालों के निम्न स्तर पर हैं। कृषि लागत डीज़ल, खाद, रासायनिक कीटनाशक मजदूरी और महंगाई बढ़ी है, लेकिन सोयाबीन के भाव नहीं बढ़े हैं। वर्ष 2012 में जो सोयाबीन का भाव था आज 2024 में भी सोयाबीन वही भाव बिक रही है।

इन 12 वर्षों में सोयाबीन की लागत लगभग दोगुनी हुई है, लेकिन कीमतों में सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य में इतनी वृद्धि नहीं हुई है। सरकार द्वारा जारी सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4892 रुपए से लगभग 1000 रुपए नीचे बिक रही है।

फसल बीमा घोटाला जांचें

किसानों की मांग है की फसल बीमा नीति में संशोधन कर खेत को इकाई माना जाए। औसत उत्पादन दो वर्ष का किया जाए। सेटेलाइट सर्वे प्रणाली किसानों को स्वीकार नहीं है, इसलिए रेंडम प्लाट पद्धति ओर नेत्राकंन सर्वे प्रणाली ही रखा जाए। 2018 से लेकर 2024 तक खरीफ सीजन में हुए फसल बीमा घोटाले की जांच कराई जाए।

 

 

किसानों की आक्रोश रैली

 

रैली सब्जी मंडी से शुरू हुई। नगर निगम से होते हुए बॉम्बे बाजार, रेलवे स्टेशन,बस स्टैंड होते हुए कलेक्टर कार्यालय पहुंची। यहां प्रधानमंत्री के नाम संयुक्त कृषक संगठन सहित अन्य किसानों संगठनों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। किसानों की मांग है कि वर्तमान में सोयाबीन की फसल आने वाली है, ऐसे में आवक बढऩे पर सोयाबीन के भाव और काम हो जाएंगे। इससे किसानों को अपनी लागत भी निकलना मुश्किल हो रहा है। सरकार को चाहिए की सोयाबीन की एमपी 6000 रूपए से ज्यादा तय करें, ताकि किसानों इसका लाभ मिले।

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