खूफिया पड़ताल के बाद बनी भितरघातियों की गोपनीय सूची

चुनावी रंग चढ़ते ही भाजपा-कांग्रेस के वरिष्ठों ने संभाली कमान
  जबलपुर: चुनावी रंग चढ़ते ही भाजपा-कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है, दोनों ही प्रमुख पार्टियों शीर्ष नेता कहीं कोई चूक नहीं चाहते हैं। दोनों ही पार्टियों में भीतरघात का भी खतरा है जिसको लेकर दोनों ही पाटियों के वरिष्ठों ने कमान संभाल रखी है। सूत्रों की माने तो जिन भितरघातियों की वजह से पार्टी को नुकसान हो सकता है उनकी कुंडली तैयार की गई ताकि उन पर लगाम लगाई जा सके। भितरघातियों की खूफिया पड़ताल के बाद गोपनीय तरीके से सूची तैयार की है। जिसमें कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों से लेकर कुछ नेताओं के नाम भी हैं।   सूची दोनों दलों के मुख्यालय भेजी जाएगी। जिसके बाद भितरघातियों पर लगाम कसी जायेगी।
भाजपा में कम, कांग्रेस में लंबी सूची
सूत्रों की माने तो कांग्रेस में भीतरघातियों की लंबी सूची है जहां छोटे पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं से लेकर  बड़े पदों पर बैठे पदाधिकारियों और कुछ वरिष्ठ नेताओं ने भी पार्टी को नुकसान पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।  चुनाव में पार्टी के अनुरूप काम न करने वालों की सूची बनाई गई जिसमें भाजपा मेें कम तो कांग्रेस मेें भीतरघातियों के नामों की लिस्ट लंंबी है।
   कार्रवाई नहीं तो पड़ेगा गलत असर
भीतरघातियों की सूची तो बना ली गई लेकिन अब देखना यह कि इन भीतरघातियों पर पार्टियां कार्रवाईयां क्या करती हैं। चर्चा यह भी है कि यदि अभी कार्रवाई नहीं की गई तो उन कार्यकर्ताओं पर गलत असर पड़ेगा जो पूरी ईमानदारी से पार्टी के लिए चुनाव के वक्त काम करते हैं।
हाईकमान तक पहुंची है कई शिकायतें
भीतरघात करने वालों की कई शिकायतें भी दोनों ही पार्टियों के हाईकमान तक भी पहुंच रहे है। अब देखना यह होगा कि भितरघातियों पर कार्रवाई की गाज मतगणना के पहले गिरती है या परिणाम आने के बाद कार्रवाई होगी।
  पर्दे के पीछे से गणित बिगाडऩे का खेल
भाजपा-कांग्रेस को भितरघातियों का डर इसलिए भी सता रहा है कि भितरघाती हार जीत का गणित न बिगाड़ दें। विदित हो कि विधानसभा चुनाव में भाजपा में ज्यादा घमासान मचा था। टिकट वितरण को लेकर जमकर बवाल हुआ था। डैमेज कंट्रोल करने  खुद केंद्रीय गृह सहकारिता मंत्री अमित शाह को शहर आना पड़ा था उस वक्त तो डैमेज कंट्रोल कर लिया गया था लेकिन कई ऐसे भितरघाति पार्टी में अब भी मौजूद है जो पर्दे के पीछे रहते हुए खेल बिगाडऩे का काम कर रहे हैं। ऐसा ही हाल कांग्रेस में है।

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