जनभागीदारी से संवारा महेश्वर स्थित ज्वालेशवर महादेव मंदिर को

संभागायुक्त की रूचि से ढहने से बच गई ऐतिहासिक धरोहर
प्रशासन, जनप्रतिनिधिगण और नागरिकों की सहभागिता रंग लाई

इन्दौर:महेश्वर स्थित ऐतिहासिक प्राचीन धरोहर ज्वालेश्वर महादेव मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य के लिए संभागायुक्त दीपक सिंह की रुचि और जिला प्रशासन खरगोन के प्रयासों और जनभागीदारी की पहल रंग ला रही है. 80 लाख रूपये जन भागीदारी से एकत्र कर इस प्राचीन धरोहर का जीर्णोद्धार कार्य तेज गति से हो रहा है, जो क्षेत्र में जनभागीदारी की अनूठी मिसाल बन रहा है. नदी के तट पर स्थित यह ऐतिहासिक धरोहर ढहने की कगार पर आ गई थी.

वैसे तो नर्मदा तट पर हजारों मंदिर है, लेकिन उनमें से कुछ मंदिरों का विशेष स्थान है जिसमें ज्वालेश्वर महादेव मंदिर का अपना विशेष स्थान और महत्व है. लेकिन ऐतिहासिक महत्व का ज्वालेश्वर मंदिर देख-रेख के अभाव में जर्जर हो रहा था. संभागायुक्त दीपक सिंह ने इस ऐतिहासिक धरोहर को संजोने के लिए रुचि ली और जिला प्रशासन और क्षेत्रवासियों के सहयोग से आज इस प्राचीन धरोहर का जीर्णोद्धार कार्य लगभग पूर्णता की ओर है. सामूहिक प्रयासों की परिणति रंग लाई. जन सहयोग से करीब 80 लाख रुपये की राशि से इस मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य ऐतिहासिक धरोहर को नया और दीर्घ जीवन देने वाला सिद्ध हुआ है. मंदिर को नर्मदा नदी की बाढ़ से बचाने के लिए पत्थरों से 110 मीटर लंबाई के साथ 24 मीटर ऊंची व 4 मीटर चौड़ी गैबियन वाल बनाई गई है. जीर्णोद्धार कार्य में करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च का अनुमान है. ज्वालेश्वर महादेव मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य में प्रशासन, स्थानीय जनप्रतिनिधिगण, नागरिकों का सकारात्मक सहयोग एक मिसाल बना है.

नियमित फालोअप लेते हैं संभागायुक्त
ज्वालेश्वर महादेव मंदिर के संरक्षण एवं संवर्धन को लेकर संभागायुक्त दीपक सिंह के मार्गदर्शन एवं कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के निर्देशन में एसडीएम व तहसीलदार जीर्णोद्धार कार्य की प्रगति की नियमित मॉनिटरिंग तथा जनसहयोग की पहल में सहयोग कर रहे है. संभागायुक्त जीर्णोद्धार कार्य का निरीक्षण कर प्रगति का जायजा ले चुके है तथा नियमित कार्य की प्रगति का फालोअप भी लेते है. श्री सिंह ने बताया हमारा उद्देश्य है कि हम इस ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण करें. कार्य तीव्र गति से पूरा करने का लक्ष्य है.
पौराणिक महत्व भी
ज्वालेश्वर महादेव मंदिर एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है जो एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है. पुराणों के अनुसार जब भगवान शिव ने एक ही बाण से त्रिपुरा के किले बंद शहर को नष्ट कर दिया था, तब उन्होंने इस स्थान पर नर्मदा देवी को अपने हथियार सौंपे थे. इस स्थान पर एक शिवलिंग प्रकट हुआ, जो सर्वोच्च ऊर्जा का प्रतीक है. यह भी कहा गया है कि भगवान शिव ने ज्वालेश्वर महादेव के रूप में प्रकट होकर जटाओं से गंगा की रक्षा की थी. वर्तमान में जो मंदिर दिखाई देता है उसका जीर्णोद्धार 17वीं शताब्दी में मराठों के मार्गदर्शन में किया गया था.

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