नयी दिल्ली, 21 अगस्त (वार्ता) केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ई-कॉमर्स के तेजी से बढ़ने से छोटे खुदरा विक्रेताओं की बाजार हिस्सेदारी और मार्जिन में आ रही गिरावट का हवाला देते हुये बुधवार को कहा कि ई-कॉमर्स की भारी वृद्धि से सामाजिक व्यवधान पैदा हो सकता है।
श्री गोयल ने यहां पहले इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भारत में रोजगार और उपभोक्ता कल्याण पर ई-कॉमर्स का शुद्ध प्रभाव नामक रिपोर्ट के लाँच के दौरान ई-कॉमर्स वृद्धि से उत्पन्न होने वाले कुछ गंभीर परिणामों को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा “ क्या हम ई-कॉमर्स की इस भारी वृद्धि के साथ सामाजिक व्यवधान पैदा करने जा रहे हैं। मुझे यह गर्व की बात नहीं लगती कि हमारा आधा बाजार संभवतः 10 साल बाद ई-कॉमर्स नेटवर्क का हिस्सा बन सकता है। यह चिंता का विषय है।” हालांकि, उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स यहीं रहने वाला है और वह इसे खत्म नहीं करना चाहते हैं।
उन्होंने सवाल किया “मैं इस धारणा के विपरीत जा रहा हूं क्योंकि हमने पश्चिम में ऐसा होते देखा है। मैं कह सकता हूं कि यूरोप, अमेरिका सभी ने इसके परिणाम देखे हैं। वहां छोटी-मोटी दुकानों का क्या हुआ। आप उनमें से कितने को जीवित देखते हैं। स्विट्जरलैंड ने हाल तक ई-कॉमर्स को आने की अनुमति क्यों नहीं दी।”
उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि देश के विकास में ई-कॉमर्स की भूमिका है लेकिन हमें सावधानीपूर्वक सोचना होगा कि वह भूमिका क्या है और उस भूमिका को अधिक संगठित तरीके से कैसे निभाया जा सकता है। श्री गोयल ने कहा कि ई-कॉमर्स खुदरा स्टोर के हर हिस्से पर हमला नहीं करता है, बल्कि छोटे खुदरा विक्रेताओं के उच्च-मूल्य, उच्च मार्जिन वाले उत्पादों को खा जाता है, जो एकमात्र ऐसे उत्पाद हैं जिनके माध्यम से स्टोर मालिक नाममात्र का लाभ कमाता है और व्यापार को संचालित करता है।
वाणिज्य मंत्री ने ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा अपनाए जाने वाले मूल्य निर्धारण के मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने सवाल किया कि क्या देश के लिए इस तरह मूल्य निर्धारण नीति अच्छी है। जब अमेज़न कहता है कि हम भारत में एक अरब डॉलर का निवेश करने जा रहे हैं, तो हम सभी जश्न मनाते हैं लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि वह अरब डॉलर किसी महान सेवा या भारतीय अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए किसी महान निवेश के लिए नहीं आ रहा है। उन्होंने उस वर्ष अपनी बैलेंस शीट में एक अरब डॉलर का घाटा किया। उन्हें घाटे की भरपाई करनी होगी और वह घाटा कैसे हुआ। उन्होंने पेशेवरों को एक हजार करोड़ का भुगतान किया। मुझे नहीं पता कि ये पेशेवर कौन हैं। मैं खुद एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हूं। मैंने कानून की पढ़ाई की है। लेकिन मुझे यह जानना अच्छा लगता है कि कौन से चार्टर्ड अकाउंटेंट, पेशेवर और वकील एक हजार करोड़ कमाते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा भुगतान तब किया जाता है जब तक आप सभी शीर्ष वकीलों को उन्हें रोकने के लिए भुगतान नहीं करते हैं ताकि कोई भी आपके खिलाफ मुकदमा न लड़ सके।
उन्होंने कहा “ अगर आप एक साल में 6,000 करोड़ रुपये का घाटा उठाते हैं, तो क्या आप में से किसी को भी इसमें उस मूल्य निर्धारण की बू नहीं आती है। आखिरकार वे एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म हैं। उन्हें बी2सी करने की अनुमति नहीं है। ई-कॉमर्स फर्म कानूनी तौर पर उपभोक्ताओं के साथ व्यापार नहीं कर सकती। वे ऐसी संस्थाएँ बनाते हैं जहाँ भारतीय उन संस्थाओं को बनाने में योगदान देते हैं। फिर वे पकड़े जाते हैं, इसलिए वे उन संस्थाओं को बंद करना शुरू कर देते हैं। यह कहानी का दूसरा भाग है। लेकिन वे केवल यह दिखाने के लिए कि यह व्यवसाय से व्यवसाय है, सभी व्यवसाय को एक संस्था के माध्यम से पुनर्निर्देशित करते हैं, लेकिन वास्तव में, आप सभी उन प्लेटफ़ॉर्म पर खरीदारी करते हैं। उन्होंने सवाल किया इन प्लेटफॉर्म से कैसे खरीददारी की जाती है। इन प्लेटफ़ॉर्म पर बी2सी की अनुमति नहीं है। वे ऐसा कैसे कर रहे हैं। क्या यह हम सभी के लिए चिंता का विषय नहीं होना चाहिए।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष रोजगार में ई-कॉमर्स के महत्वपूर्ण योगदान को उजागर करते हैं, ई-कॉमर्स विक्रेताओं ने 1.6 करोड़ नौकरियां पैदा की हैं। यह रोजगार विपणन से लेकर प्रबंधन, ग्राहक सेवा और संचालन तथा वेयरहाउसिंग लॉजिस्टिक्स और डिलीवरी तक कौशल स्तरों पर विभिन्न भूमिकाओं में था। यह भी पाया गया कि ई-कॉमर्स अन्य खुदरा क्षेत्रों की तुलना में महिला श्रमिकों के लिए लगभग दोगुनी संख्या में नौकरियां पैदा करता है। ई-कॉमर्स का प्रभाव छोटे शहरों में काम करने वाले विक्रेताओं पर भी महत्वपूर्ण है। अध्ययन के अनुसार, छोटे शहरों में 60 प्रतिशत विक्रेताओं ने ऑनलाइन बिक्री शुरू करने के बाद से बिक्री और मुनाफे में वृद्धि की सूचना दी है, इनमें से दो-तिहाई से अधिक ने अकेले पिछले वर्ष में ऑनलाइन बिक्री मूल्य और मुनाफे में वृद्धि का अनुभव किया है। टियर 3 बाजारों में यह संख्या और भी अधिक थी, जहां 71 प्रतिशत विक्रेताओं ने अपने व्यवसायों में अतिरिक्त बिक्री की जानकारी दी।