नयी दिल्ली (वार्ता) क्वीन ऑफ बॉलीवुड श्रीदेवी पर फिल्माए गए गीत आज भी उनके प्रशंसकों के जहन में इस कदर छाये हुए है कि इन गीतों के लय और ताल के साथ इस अदाकारा की भाव-भंगिमायें तरो ताजा हो जाती हैं।
बॉलीवुड अदाकारा श्रीदेवी का जन्म 13 अगस्त 1963 को तमिलनाडु में शिवकाशी के मीनमपट्टी गांव में हुआ था। श्रीदेवी को क्वीन ऑफ बॉलीवुड के नाम से आज भी जाना जाता है। इस अदाकारा ने 24 फरवरी 2018 को दुनिया से अलविदा हो गयी थी।
श्रीदेवी अपनी फिल्मों में गानों के साथ अपने को जिस तरह प्रस्तुत किया उसे भारतीय सिनेमा की दुनिया में एक मानक के रूप में देखा जाता है। मिस्टर इंडिया का हवा हवाई गाना श्रीदेवी की नृत्य, कला का एक बेजोड़ नमूना है, जिसने उन्हें अपने समय में दर्शकों के बीच एक विशेष पहचान दिलवाई थी।
श्रीदेवी ने अपने तीन दशक लंबे सिने करियर में हिंदी, तमिल और मलयालम सिनेमा सहित विभिन्न भाषाओं में लगभग 200 फिल्मों में काम किया था। श्रीदेवी ने गैर हिंदी भाषिक होते हुए भी हिंदी फ़िल्मी गानों के साथ जो ताल मेल जमाया उसकी छाप दर्शकों के दिल पर आज भी छपी है। मिस्टर इंडिया में ही उन्होंने काटे नहीं कटते दिन और रात गाने में अपने सह-कलाकारों के साथ अद्वितीय ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री स्थापित की है। इस गीत की धुन पर श्रीदेवी अदाकारी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है और हमें गीत और नृत्य के माध्यम से गहरी भावनाओं को व्यक्त करने की उनकी क्षमता की याद दिलाती है। नृत्य में अपने नेत्रों को अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम के रूप में प्रयोग करने वाली इस अभिनेत्री ने ‘चांदनी’ फिल्म के गीत ‘चांदनी ओ मेरी चांदनी’ वाले मधुर गीत के साथ जो दमदार अभिनय किया वह उनकी नृत्य कला के आकर्षण और उस फिल्म में उनके रोमांस ने फिल्म प्रेमियों को अभिभूत कर दिया था।
इसी तरह फिल्म ‘हिम्मतवाला’ में ‘नैनो में सपना’ गीत आज भी दर्शकों को मस्ती में सराबोर कर देता है।
श्रीदेवी की विरासत भारतीय सिनेमा के दिल में आज भी बसी हुई है और ये गाने उनकी असाधारण प्रतिभा की एक झलक मात्र हैं।
श्रीदेवी एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री थीं जिनका करियर पांच दशकों से अधिक समय तक चलता रहा। अपनी बहुमुखी प्रतिभा की धनी थी। श्रीदेवी ने महज चार साल की उम्र में तमिल फिल्म कंधन करुणई से अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने ‘चांदनी’, ‘मिस्टर इंडिया’ और ‘इंग्लिश विंग्लिश’ जैसी हिट फिल्मों में अपनी असाधारण भूमिका से फिल्म प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया था।
‘भारतीय सिनेमा की रानी’ के रूप में सम्मानित, फिल्म उद्योग में श्रीदेवी के योगदान ने अक्सर एक अमिट छाप छोड़ी है।श्रीदेवी को 1990 और 1992 फिल्म फेयर आवार्ड, 2013 में पद्मश्री से नवाजा गया था और वर्ष 2018 में बेस्ट अभिनेत्री के रूप में राष्ट्रीय फिल्म से सम्मानित किया गया था।
गौरतलब है कि 2018 में उनकी बड़ी विचित्र परिस्थितियों में असामयिक मृत्यु मनोरंजन की दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण क्षति थी, लेकिन उनकी विरासत उनके कालातीत प्रदर्शन और सिनेमा पर उनकी गहरी छाप आज भी उनके प्रशंसकों के दिलाें में कायम है।