जांच के बाद पुलिस ने दो लोगों को बनाया आरोपी
इंदौर: लसूडिया थाना क्षेत्र की लॉ फ्लोरा होटल के कमर नम्बर 21 में भोपाल के एक मिलिंद जुमडे नामक आर्किटेक्ट ने सल्फास की गोलियां खाने के बाद अपने हाथ की नस काट ली थी. मृतक के पास से पुलिस को एक सुसाइड नोट भी मिला था. 9 माह चली जांच के बाद पुलिस ने पीडब्लूडी ब्रिज सेक्शन के चीफ इंजीनियर रहे, संजय खांडे के भाई राजेश खांडे और भोपाल स्थित मॉलिक्यूल बार के पार्टनर प्रमेश मेहता पर प्रकरण दर्ज किया है.
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश दंडोतिया ने बताया कि आर्किटेक्ट ने जहरीली गोलियां खाने के बाद हाथ की नस काट कर आत्महत्या कर ली थी. जांच में पुलिस ने उसकी मां सुशीलाबाई, पत्नी प्रीति, साले रविंद्र राव,ममेरे भाई संजय और सिंद्धात ओझा के बयान लिये थे. मृतक द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट के आधार पर दोनों आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है. आर्किटेक्ट मिलिंद जुमडे अर्थ एसोसिएट के प्रोप्राइटर थे, कई प्रोजेक्ट मिंटो हॉल, सैर सपाटा नाम से किए थे. एक साल पहले वहे आर्थिक तंगी से जुझ रहे थे. 30 सितम्बर को इंदौर की एक होटल में उन्होंने सुसाइड नोट लीख कर आत्महत्या कर ली थी.
यह लिखा था सुसाइड नोट में…
सुसाइड नोट में लिखा था कि मैं राजेश खांडे की वजह से आत्महत्या कर रहा हूं. जबरदस्ती पैसे वसूली कर दबाव बनाकर मेरी मानसिक स्थिति भंग की. मॉलिक्यूल इंदौर में यह व्यक्ति मुख्य भागीदार है, मॉलिक्यूल प्रोजेक्ट में जबरदस्ती करोड़ों रुपए का दबाव इसके द्वारा बनाया गया. सिद्धांत ओझा से इन्होंने कहा कि यह व्यक्ति मरता है तो मरे, मैं तो इससे पैसे लेकर रहूंगा, आम सहमति से यह मेरी पत्नी को कई माह पहले प्रोजेक्ट से बाहर कर चुके हैं. पत्नी के 7.5 प्रतिशत शेयर अपने पास रख लिए. इधर-उधर से लेकर राशि दे चुका हूं. फिर भी यह डेढ़ करोड़ रुपए के लिए दबाव बना रहे हैं. इसी तरह भोपाल मॉलिक्यूल के प्रिमेश मेहता द्वारा मुझे छला गया. मॉलिक्यूल की लागत 2.20 करोड़ बताकर प्रिमेश ने प्रोजेक्ट का खर्च 4.40 करोड़ बताया. उसके दबाव में पत्नी का पूरा शेयर बेचना पड़ा. 2.60 करोड़ रुपए मेरे द्वारा इंदौर मॉलिक्यूल में पहुंचाए गए. जबकि वहां मेरी पत्नी की भागीदारी 52 लाख रुपए की बनती है.
राजेश खांडे की वजह से मुझे लोगों से कर्जा लेना पड़ा. पैसों के दबाव में आठ महीनों से पत्नी से झगड़े हो रहे है. परेशान होकर पत्नी ने तलाक का निर्णय लिया. खांडे की वजह से मेरा पूरा परिवार बिखर गया. प्रोजेक्ट में 2.60 करोड़ लेने के बाद 1.5 करोड़ और देने का दबाव बना रहे हैं. मेरा पूरा जीवन राजेश खांडे और प्रिमेश मेहता इन दोनों की वजह से बर्बाद हो गया. अब और अधिक राशि देने में सक्षम नहीं हूं और ज्यादा दबाव नहीं झेल सकता. इस असहनीय पीड़ा के कारण आत्महत्या कर रहा हूं. न पत्नी साथ है, न बच्ची. खांडे के दबाव में यशोदा परिसर का घर बेचना पड़ा. पत्नी ने भी समझा कि मैंने करोड़ों का हेरफेर किया. करोड़ों रुपयों का दबाव और परिवार का बिखरना असहनीय है. बेटी, जिसे जान से ज्यादा चाहता हूं, उससे दूरी असहनीय है