नयी दिल्ली, 02 अगस्त (वार्ता) देश में विमानों के रखरखाव, मरम्मत और निरीक्षण-परीक्षण ( एमआरओ ) उद्योग में स्वत:स्वीकृत और विमानन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इस क्षेत्र के लिए आयातित सामग्री पर पांच प्रतिशत की दर से माल एवं सेवा कर लागू करने की घोषणा की है।
नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा है,“ सरकार ने घोषणा की है कि विमानों के पुर्जों, कंपोनेंट, जांच उपकरणों, औजारों और टूल-किट के आयात पर कुछ शर्तों के साथ पांच प्रतिशत की एकसमान दर से आईजीएसटी लागू होगा , चाहे उनका एचएसएन वर्गीकरण (कर के लिए वस्तुओं के संगतिपूर्ण वर्गीकरण की प्रणाली में वर्गीकरण ) कुछ भी हो।”
उन्होंने कहा कि एमआरओ के लिए सहज रूप से 100 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति है।
उन्होंने कहा कि यह नीतिगत बदलाव भारतीय एमआरओ क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने, नवोन्मेषण और दक्षता को बढ़ावा देने तथा एक मजबूत एवं कुशल विमानन क्षेत्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि इस बार के बजट में मरम्मत के लिए आयात की गई वस्तुओं के निर्यात की अवधि छह महीने से बढ़ाकर एक वर्ष कर दी गई है। साथ ही, वारंटी के तहत मरम्मत के लिए वस्तुओं के पुनः आयात की समय-सीमा तीन से बढ़ाकर पांच वर्ष कर दी गई है।
सितंबर, 2021 को घोषित नए एमआरओ दिशानिर्देशों में रॉयल्टी को समाप्त करने और एएआई हवाई अड्डों में एमआरओ के लिए भूमि आवंटन में पारदर्शिता और निश्चितता लाने की बात की गई है। इसी तरह अप्रैल, 2020 से एमआरओ पर जीएसटी को पूर्ण इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है।